टोक्यो: एक तरफ पूरी दुनिया युद्ध और आपसी संघर्ष से जूझ रही है तो दूसरी जापान और दक्षिण कोरिया एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल से मुलाकात की है। दोनों नेताओं की मुस्कुराती हुई तस्वीरें सबका दिल जीत रही हैं। गुरुवार को दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति सुक योल ने टोक्यो में कदम रखा। पिछले 12 साल में यह पहला मौका था जब दोनों देशों के नेताओं ने मुलाकात की है। योल का यह एक दिन का दौरा दोनों देशों के रिश्तों में काफी अहम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही तनाव है। इस मौके को जापान और दक्षिण कोरिया के रिश्तों पर जमी हुई बर्फ को पिघलाने वाला पल करार दिया जा रहा है।दोनों देशों का अहम ऐलानदक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि वह अपनी उस मांग को खत्म कर रहे हैं जिसके तहत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जबरन मजदूरी की वजह से जापानी कंपनियों से कोरियाई पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की जा रही थी। इस ऐलान को अब तक का सबसे अहम पल करार दिया जा रहा है। इस ऐलान के बदले जापान के व्यापार मंत्रालय की तरफ से ऐलान किया गया कि वह दक्षिण कोरिया की टेक्नोलॉजी कंपनियों पर साल 2019 से लगे प्रतिबंधों को खत्म कर रही है। मंत्रालय की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि कब और किस तारीख पर इन प्रतिबंधों को कब हटाया जाएगा। लेकिन इस ऐलान को दोनों देशों के बीच रिश्तों के सामान्य होने की दिशा में एक बड़ा कदम करार दिया जा रहा है।
क्यों खराब थे रिश्ते
जापान की तरफ पहला कदम दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सोक योल ने बढ़ाया था। जापान और दक्षिण कोरिया दोनों पड़ोसी देश रहे हैं लेकिन इनका इतिहास काफी मुश्किल है। दक्षिण कोरिया पर साल 1910 से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने तक जापान का कब्जा था। उस समय जापान के सैनिकों ने हजारों कोरियाई मजदूरों को खदानों और फैक्ट्रियों में काम करने के लिए मजबूर किया था। उस समय जापान की सेना ने महिलाओं को यौन गुलाम बनाया था।
दक्षिण कोरिया के लिए ये जख्म हमेशा दर्द देने वाले थे। दक्षिण कोरिया हमेशा कहता था कि वो इन जख्मों को न तो भूलेगा और न ही जापान को माफ करेगा। लेकिन पिछले हफ्ते दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति योन सुक योल ने मुआवजे की मांग को खत्म कर दिया। वह इस बात पर रजामंद हुए कि दक्षिण कोरिया मुआवजे की जगह फंड इकट्ठा करेगा। पेशे से वकील योल का मास्टरस्ट्रोक
जापान और दक्षिण कोरिया के करीब होने का मकसद उत्तर पूर्व एशिया की सुरक्षा है। दक्षिण कोरिया के राजनयिक और विशेषज्ञ योल के दौरे से हैरान हैं लेकिन वो खुश भी हैं। वो इसे एक साहसी कदम करार दे रहे हैं। दिलचस्प बात है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के पास कोई भी राजनीतिक अनुभव नहीं हैं। वह पेशे से एक वकील रहे हैं लेकिन उनकी इस चाल ने हर किसी को पस्त कर दिया है। पिछले साल उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाल है। जब से उन्होंने ऑफिस संभाला है तब से यह सम्मेलन उनके लिए सबसे अहम पल बन गया है। उन्होंने एक टूटे हुए रिश्ते में इस तरह से जान फूंककर किनारे हो चुकी विदेश नीति को एक नई जगह दी है।
चीन और उत्तर कोरिया हैं वजह
परमाणु क्षमता से लैस उत्तर कोरिया दिन पर दिन खतरनाक होता जा रहा है। योल मानते हैं कि जापान के साथ इंटेलीजेंस शेयर करने दक्षिण कोरिया को ही फायदा होगा। इसके अलावा चीन भी क्षेत्र में पकड़ मजबूत करता जा रहा है। दोनों देशों की सेनाएं भी अब साथ में काम करेंगी। योल अपने एक अहम सहयोगी अमेरिका को भी खुश करना चाहता है। अमेरिका इस समय मजबूत होते चीन का मुकाबला करने के लिए अपने सहयोगियों को करीब लाने की सख्त कोशिशें कर रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने योल के जापान सम्मेलन को 'एक जबरदस्त नया अध्याय' बताया है। इस सम्मेन के बाद ही बाइडेन की तरफ से योल को व्हाइट हाउस का निमंत्रण भेजा गया है।