एआई इंजीनियर अतुम सुभाष की मां अंजू मोदी ने अपने 4 साल के पोते की कस्टडी के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने कोर्ट में हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका लगाई है।
इसमें दावा किया गया है कि बेटे सुभाष की पत्नी निकिता और ससुराल पक्ष के गिरफ्तार लोग पोते के बारे में नहीं बता रहे हैं। वर्तमान में पोता कहां है इसकी जानकारी हमें नहीं है। वहीं, निकिता ने बेंगलुरु पुलिस की पूछताछ में बताया कि बेटा चाचा सुशील सिंघानिया की कस्टडी में है। फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में उसका नाम रजिस्टर्ड है। इधर सुशील ने बच्चे के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने याचिका पर संज्ञान लिया। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर बच्चे की स्थिति का जानकारी देने का कहा है। मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। 9 दिसंबर को AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने बेंगुलरु में अपने फ्लैट में सुसाइड नोट और वीडियो बनाकर जान दे दी थी। इसके बाद अतुल के परिवार ने पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाए थे।
दहेज-यौन केस में जांच की मांग को लेकर भी याचिका दाखिल
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दहेज और यौन अपराधों के गंभीर आरोपों की शुरुआती जांच किए जाने और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किए जाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है।
याचिका दाखिल करने वाले रामेश्वर और मो. हैदर राजस्थान के रहने वाले हैं। दोनों पर दहेज के जुड़े मामले चल रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि IT इंजीनियर अतुल सुसाइड केस ने सभी को गहराई से प्रभावित किया है और हमारी कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या महिलाओं को दिए गए अधिकारों का सही उपयोग हो रहा है या कुछ मामलों में उनका इस्तेमाल उत्पीड़न के साधन के तौर पर किया जा रहा है।
रामेश्वर और मो.हैदर ने समान पक्षों के बीच चल रहे केसों को एक साथ जोड़कर सुनवाई किए जाने की मांग की है। रामेश्वर के खिलाफ 20 साल से तलाक का मामला चल रहा है। जबकि हैदर 2 साल से इस तरह के मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं की तीन मांगे
1. अगर एक पक्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर या किसी दूसरे राज्य में रहता है तो उसे वर्चुअली पेशी की इजाजत दी जाए।
2. दहेज और IPC या BNS के तहत गंभीर यौन अपराध के आरोपों की शुरुआती जांच की जाए। सिर्फ एक शिकायत के आधार पर पूरे परिवार के खिलाफ FIR न दर्ज की जाए।
3. पर्सनल लॉ में गुजारा भत्ता का मुद्दे साफ नहीं है इसलिए याचिका में कहा गया है कि इसका समाधान UCC के जरिए किया जा सकता है।
निकिता, उसकी मां और भाई गिरफ्तार
हरियाणा के गुरुग्राम से 15 दिसंबर को निकिता सिंघानिया को गिरफ्तार किया गया था। उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद तीनों को बेंगलुरु की एक अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।