इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दुबई स्थित अल अरेबिया को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वह भारत के साथ गंभीर वार्ता चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद से अनुरोध भी किया कि वह भारत के साथ वार्ता के लिए कोशिशें करें। शहबाज की ख्वाहिश है कि जायद भारत और पाकिस्तान को बातचीत की एक टेबल पर लेकर आएं। लेकिन इसी इंटरव्यू में जब शरीफ ने जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन और इसके विशेष दर्जे को खत्म करने वाले मुद्दे का जिक्र किया तो उनकी मंशा ही सवालों के घेरे में आ गई। कुछ लोग शहबाज के इस बयान की तारीफ कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उनके इस इंटरव्यू को एक सामान्य बयान तक करार दे रहे हैं।
शरीफ का कश्मीर वाला बयानशरीफ ने जो बयान दिया है उसमें उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान, भारत के साथ शांति में रहना चाहता है। उनका मानना है कि इसके बाद ही समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। शहबाज का कहना था, 'कश्मीर, जहां पर मानवाधिकार हनन जारी है, उसके जैसे बाकी ज्वलनशील मुद्दों का समाधान के लिए मैं बात करना चाहता हूं।' शरीफ ने इसी इंटरव्यू में कहा कि कश्मीर में रोजाना मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है और भारत की सरकार ने यहां पर आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया है। साथ ही शरीफ ने यह दावा भी किया कि जम्मू कश्मीर में बड़े पैमान पर अल्पसंख्यकों के साथ गलत बर्ताव हो रहा है, इसे रोकना ही पड़ेगा। भारत से क्या चाहते हैं
शरीफ का बयान तो काफी बड़ा था लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि आखिर वह भारत से क्या चाहते हैं। पाकिस्तान पहले इस तरफ इशारा कर चुका है कि भारत सरकार को जम्मू कश्मीर का पुराना दर्जा वापस लौटाना होगा। पाकिस्तान के पत्रकार जावेद चौधरी और हामिद मीर ने हाल ही में इस बात का खुलासा किया था कि पाकिस्तान कश्मीर मसले के लिए पर्दे के पीछे बातचीत करना चाहता था।
शरीफ से पहले उनके भाई और देश के पूर्व पीएम नवाज भी इसी तरह के बयान दे चुके हैं। वह कई बार कह चुके हैं पाकिस्तान, भारत के साथ शांति चाहता है। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था के लिए वह भारत के साथ सामान्य संबंध चाहता है। लेकिन यह पहली बार है जब किसी पीएम ने माना है कि पाकिस्तान को सबक मिल गया है और भारत के साथ तीन युद्धों की वजह से देश में बेरोजगाारी और गरीबी है।
सेना प्रमुख की अलग बातें
शरीफ से पहले पाकिस्तान आर्मी के पूर्व जनरल कमर जावेद बाजवा की तरफ से इसी तर्ज पर बयान दिया गया था। बाजवा ने साल 2021 में दिए अपने एक भाषण में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधरने चाहिए। साथ ही उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने की वकालत की थी। वहीं हाल ही में पाकिस्तान के नए जनरल आसिम मुनीर ने बस इतना ही कहा है कि अगर पाकिस्तान पर हमला हुआ तो उसका जवाब दिया जाएगा।
पीएमओ की सफाई
शरीफ के बयान के बाद उनके ऑफिस की तरफ से सफाई देने वाला भी बयान आया। इसमें कहा गया कि कश्मीर में भारत की तरफ से गैरकानूनी कार्रवाई पर कोई समझौता नहीं होगा। इसके बाद माना गया कि पाकिस्तान सेना की तरफ से पीएम की टिप्पणी को गंभीरता से लिया गया है। सेना को शरीफ की 'तीन युद्धों से सबक' वाली बात अच्छी नहीं लगी है। पाकिस्तान के पीएमओ की तरफ से कहा गया, 'जब तक भारत कश्मीर का विशेष राज्य दर्जा वापस नहीं करता है, कोई बात संभव नहीं है।'
सच्चाई से वाकिफ पाकिस्तान
पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की आर्थिक कठिनाईयां काफी बढ़ी हैं। इसकी वजह से वह पश्चिमी एशिया के साथ संबंध बढ़ाने में लगा है। साथ ही यूएई और दुबई जो अब भारत के करीब हैं, उनके साथ संपर्क बढ़ा रहा है। पाकिस्तान का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व इस बात से बेहतरी से वाकिफ है कि भारत पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पर लिया गया अपना एतिहासिक फैसला नहीं पलटेगा। उसे मालूम है कि जम्मू कश्मीर पर उसे जरा भी नहीं सुना जाएगा। भारत और पाकिस्तान के बीच सामान्य रिश्ते इतने आसान नहीं हैं, खासकर तब जब इन देशों की जनता एक-दूसरे को दुश्मन के तौर पर देखती है।