इन जिलों की सबसे अधिक शिकायतें
नगरीय
निकाय और पंचायत चुनाव में कई जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस पर सवाल उठाए गए
हैं। खासतौर पर मालवा-निमाड़ और विंध्य क्षेत्र के जिले इसमें आगे हैं।
डिंडोरी, मंडला, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, नर्मदापुरम, कटनी,
दमोह, अशोकनगर, बड़वानी, बालाघाट, राजगढ़ समेत करीब डेढ़ दर्जन जिलों के
जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस ने इन चुनावों पर असर डाला है। कई जिलाध्यक्षों
पर पार्टी के कैंडिडेट का विरोध करने के भी आरोप लगे हैं।
जिलाध्यक्षों ने दावेदारों के कराए निष्कासन
संगठन
की जानकारी में आया है कि कुछ जिलाध्यक्ष रंजिश के चलते चुनाव के बहाने
पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताओं को निशाने पर ले रहे हैं। ऐसे जिलाध्यक्षों
के विरुद्ध निष्कासन का प्रस्ताव भेजेंगे। मामले को संगठन ने भी गंभीरता
से लिया है। ऐसे जिलाध्यक्षों की वर्किंग पर नजर रखी जा रही है। विधानसभा
चुनाव लड़ने के इच्छुक जिलाध्यक्ष अपने क्षेत्र के टिकट के दावेदारों का
निष्कासन करा रहे हैं।
दो बार जिलाध्यक्ष रहने के बाद मौका नहीं
भाजपा
संगठन में व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति एक ही पद पर दो कार्यकाल से अधिक
समय तक नहीं रह सकता, इसलिए तय किया गया है कि कई जिलों के जिलाध्यक्ष जो
लगातार दो बार से अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, संगठन उन्हें पद से
मुक्त कर नई जिम्मेदारी सौंप सकता है।
नवंबर में संगठन में होंगे बड़े बदलाव
प्रदेश
भर में ज्यादातर जिलाध्यक्षों का कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो रहा
है। 2019 के नवंबर में संगठनात्मक चुनाव के बाद 33 नए जिलाध्यक्षों की पहली
सूची 5 दिसम्बर 2019 को जारी हुई थी। इसके बाद 24 जिलाध्यक्षों की सूची
अलग-अलग जारी हुई। पार्टी में केंद्र और राज्य स्तर पर संगठनात्मक चुनाव की
प्रक्रिया एक साथ चलती है। ऐसे में 2022 का साल संगठनात्मक चुनाव का है।
वैसे, 2017 में जिलाध्यक्षों का कार्यकाल खत्म होने पर उन्हें हटाने की बजाय 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल भी अगले साल फरवरी में खत्म हो रहा है। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष को लेकर भी चर्चाएं तेज हो चली हैं।