कंगाल पाकिस्तान को दोस्त सऊदी अरब ने दिया बड़ा झटका, अब बिना शर्त नहीं देगा लोन की भीख, चीन ने भी किया किनारा
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19-01-2023 07:18 PM
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर को बड़ा झटका लगा है। सऊदी अरब ने संकेत दिया है कि वह अपने सहयोगी देशों को अब भविष्य में बिना शर्त आर्थिक सहायता नहीं देगा। सऊदी अरब ने कहा कि वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बड़ी योजना पर काम कर रहा है। सऊदी अरब के वित्त मंत्री ने बुधवार को कहा कि उनका देश अब पहले की सीधे आर्थिक सहायता देने की नीति को बदल रहा है। इसके अलावा किसी दूसरे देश में बिना शर्त पैसा भी नहीं जमा करेंगे। इससे पहले सऊदी अरब ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद दी थी और उसके विदेशी मुद्रा भंडार में कई अरब डॉलर जमा कराए थे।सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल जदान ने दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में कहा कि सऊदी अरब क्षेत्र के देशों को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे आर्थिक सुधार को लागू करें। उन्होंने कहा, 'हम अब तक बिना किसी शर्त को लगाए अपने सहयोगियों को सीधी आर्थिक सहायता देते थे और उनके यहां पैसा भी जमा करते थे। हम इसे बदल रहे हैं। हम बहुपक्षीय संस्थानों के साथ काम कर रहे हैं ताकि सुधार किया जा सके।' सऊदी मंत्री ने कहा कि हम अपने लोगों पर अब टैक्स लगा रहे हैं। 'आईएमएफ के प्रोग्राम में शामिल हो पाकिस्तान'
अल जदान ने कहा कि हम अपेक्षा कर रहे हैं कि अन्य लोग भी अपनी प्रयासों के तहत यही करेंगे। हम मदद करना चाहते हैं लेकिन यह भी चाहते हैं कि आप अपना प्रयास करें। बता दें कि न केवल सऊदी अरब बल्कि यूएई और कतर भी अब सीधी आर्थिक सहायता देने के बजाय अपने सहयोगी देश में निवेश करने की नीति पर अब बल दे रहे हैं। इस वजह से अब पाकिस्तान को अपनी कंपनियां और अन्य चीजें बेचनी होंगी। इससे पहले सऊदी मीडिया ने कहा था कि वह पाकिस्तान में अपने निवेश को 10 अरब डॉलर तक ले जाने की इच्छा रखता है।
इसके अलावा सऊदी अरब पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में 5 अरब डॉलर जमा कराएगा। सऊदी के इस नए रुख से पाकिस्तान को अब भविष्य में डॉलर की खैरात लेने में पसीने छूटना तय है। सऊदी ने अब तक कई बार पाकिस्तान को इस संकट से उबारा है लेकिन अब वह चाहता है कि पाकिस्तान आईएमएफ के प्रोग्राम में शामिल हो। यही नहीं चीन भी अब पाकिस्तान को बिना शर्त खैरात देने से परहेज कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के लिए संकट यह है कि अगर वह आईएमएफ के प्रोग्राम में शामिल होते हैं तो देश में करीब 70 फीसदी मंहगाई बढ़ जाएगी। इससे उनका चुनाव जीतना लगभग असंभव हो जाएगा। यही वजह है कि शहबाज इस फैसले से बच रहे हैं।