इस्लामाबाद: पाकिस्तान में हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन खुलेआम घूमता देखा गया है। वह पाकिस्तान सरकार से मिली सुरक्षा के बीच लाहौर में एक जनाजे में शामिल हुआ। यह जनाजा हिजबुल आतंकी बशीर अहमद पीर का था। एक दिन पहले अज्ञात हमलावरों ने बशीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसकी हत्या को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों के बीच आपसी खींचतान का नतीजा बताया गया था। बशीर अहमद पीर को सैयद सलाहुद्दीन का दाहिना हाथ बताया जाता है। वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हिजबुल का लॉन्च पैड संभालता था और नए आतंकवादियों के लिए पैसों और हथियारों का बंदोबस्त करता था।बशीर के जनाजे की नमाज अदा की
रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन न केवल बशीर अहमद पीर के जनाजे में शामिल हुआ, बल्कि उसका नेतृत्व भी किया। इस दौरान पाकिस्तानी पुलिस और रेंजर्स की मौजूदगी भी थी। जनाजे में शामिल भीड़ ने आतंकी बशीर के समर्थन में जमकर नारेबाजी भी की। सैयद सलाहुद्दीन ने बशीर के जनाजे की नमाज भी अदा की और भारत के विरोध में तकरीर भी दी। सैयद सलाहुद्दीन और बशीर अहमद पीर को भारत सरकार ने यूएपीए के तहत आतंकवादी भी घोषित कर रखा है। इन दोनों पर भारत में कई आतंकी वारदातों को अंजाम देने के आरोप हैं।कौन है सैयद सलाहुद्दीन
सैयद सलाहुद्दीन हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का प्रमुख है। सैयद सलाहुद्दीन का पूरा नाम सैयद मोहम्मद युसूफ शाह है। 26 जून 2017 को अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने उसे विशेष नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। हालांकि इसके तुरंत बाद उसे पीओके के मुजफ्फराबाद के सेंटर प्रेस क्लब में पाकिस्तानी मीडिया से बात करता हुए देखा गया था। सैयद सलाहुद्दीन का जन्म 18 फरवरी 1946 में कश्मीर घाटी के बडगाम के सोईबग में हुआ था। उसके पिता भारत सरकार में डाक विभाग में काम करते थे। शुरुआत में शाह की दिलचस्पी मेडिसिन पढ़ने की तरफ गई लेकिन बाद में उसने सिविल सर्विस ज्वाइन करने का फैसला किया।
पढ़ाई के दौरान आतंकियों से संपर्क में आया
यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई करते वक्त वह जमात-ए-इस्लामी के संपर्क में आया और उसकी जम्मू-कश्मीर शाखा का सदस्य बन गया। पढ़ाई के दौरान ही वह कट्टपंथी बन गया था। वह मुस्लिम महिलाओं को बुर्का पहनने और उन्हें पाकिस्तान के समर्थन में जुलूस निकालने के लिए मनाने में सफल रहा। यूनिवर्सिटी की पढ़ाई खत्म होने के बाद सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा लेने के बजाए वह मदरसे में इस्लामी टीचर बन गया। उसकी शादी नफीसा नाम की महिला से हुई है। जिससे उसके पांच बेटे और दो बेटियां हैं।जेल से रिहा होते ही बनाया हिजबुल मुजाहिदीन
सैयद सलाहुद्दीन ने 1987 में जम्मू और कश्मीर से मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के टिकट पर श्रीनगर की अमीरा कदल सीट से चुनाव भी लड़ा था। हालांकि वह भारी मतों से चुनाव हार गया और इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के गुलाम मोहिउद्दीन शाह जीत गए। इसके बाद मोहिउद्दीन शाह के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ जिसकी अगुवाई सैयद सलाहुद्दीन ने की थी। इस मामले में सैयद सलाहुद्दीन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 1989 में रिहा होने के बाद सैयद सलाहुद्दीन ने कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन की स्थापना की।