जम्मू कश्मीर के स्कूलों में राष्ट्रीय और सांप्रदायिक एकता का गीत कहे
जाने वाले 'रघुपति राघव राजा राम' गाने को लेकर विवाद जारी है। इस गीत को
सांप्रदायिक करार देते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि केंद्र सरकार कश्मीर
में अधिकारों को छीनने के बाद अब हिंदुत्व का अजेंडा थोप रही है। वहीं
मोदी सरकार के आलोचकों में शामिल रहे फारूक अब्दुल्ला ने इस मामले में
महबूबा मुफ्ती से अलग राय रखी है। अब्दुल्ला ने पूछा है कि आखिर भजन गाने
गलत क्या है। उन्होंने कहा कि मैं खुद भी भजन गाता हूं और इससे हिंदू नहीं
हो जाता। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां कोई हिंदू
अजमेर दरगाह जाने से मुसलमान नहीं हो जाता।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम लोग दो राष्ट्र सिद्धांत में यकीन नहीं
रखते। राज्य के पूर्व सीएम ने कहा कि मैं खुद भी भजन गाता हूं। अगर मैं भजन
गाता हूं तो फिर इसमें गलत क्या है। अगर हिंदू अजमेर की दरगाह पर जाता है
तो क्या वह मुसलमान बन जाएगा? दरअसल महबूबा मुफ्ती ने रघुपति राघव राजा राम
भजन के एक हिस्से को ट्वीट करते हुए कहा था कि यह हिंदुत्व के अजेंडे को
थोपने की कोशिश है। हालांकि महबूबा मुफ्ती के बयान पर भाजपा ने प्रतिक्रिया
देते हुए कहा था कि वह झूठ फैला रही हैं और सिर्फ एक लाइन को ही शेयर किया
गया है।
महबूबा मुफ्ती ने लिखा था, 'धार्मिक विद्वान जेल में हैं। जामा मस्जिद को बंद कर दिया गया और अब स्कूल के बच्चे हिंदू भजन गा रहे हैं। इससे भारत सरकार का हिंदुत्व का असली अजेंडा उजागर होता है। यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो फिर उसके खिलाफ पब्लिक सिक्योरिटी ऐक्ट और यूएपीए के तहत केस दर्ज होते हैं। बदलता जम्मू-कश्मीर के नाम पर हम यही कीमत चुका रहे हैं।' गौरतलब है कि स्कूलों में महात्मा गांधी की 153वीं जयंती से पहले पर इस गीत को गाने का आदेश दिया गया है। यह गीत महात्मा गांधी अकसर गुनगुनाते थे और उनकी सभाओं में भी यह गाया जाता था। ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम जैसी इसकी पंक्तियों को सांप्रदायिक एकता के लिए अहम माना जाता रहा है।