आपके घर में बड़े-बूढ़े हैं तो सतर्क हो जाइए! साइबर अरेस्ट से बढ़ी मुश्किलें, सरकार ने विज्ञापन जारी कर बताया क्या करें

Updated on 05-10-2024 01:36 PM
नई दिल्ली: देश में डिजिटल क्रांति ने जहां लोगों का काम सुविधाजनक बनाया है तो वहीं दूसरी ओर इससे खतरे भी बढ़े हैं। इस खास सुविधा के बाद साइबर अपराधियों के हौसले भी काफी बुलंद हुए हैं। ये साइबर अपराधी आपको किसी न किसी बहाने से अपनी जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। कुछ इसमें बुरी तरह फंस जाते हैं तो वहीं कुछ इनकी चालाकी समझ जाते हैं। ऐसे में एक और टर्म है डिजिटल अरेस्ट। डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर धोखा है जिसमें अपराधी लोगों को डरा धमकाकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। इससे जुड़ी हाल की घटनाओं ने लोगों को काफी परेशान किया है।
अब इसे लेकर भारत सरकार ने एक विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन की मदद से सरकार ने लोगों को जागरुक करने की कोशिश की है। सरकार ने विज्ञापन की मदद से यह बताया कि आपको डिजिटल अरेस्ट के केस में घबराने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञापन में मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी दिया गया है।

डिजिटल अरेस्ट को लेकर सरकार का अलर्ट

डिजिट अरेस्ट को लेकर भारतक सरकार ने आज अखबारों में एक विज्ञापन दिया है। इस एड की मदद से लोगों को डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ जागरुक किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने विज्ञापन में कहा कि घबरने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। आगे लिखा कि सीबीआई, ईडी,पुलिस, जज आपको वीडियो कॉल की मदद से अरेस्ट नहीं कर सकते। ऐसे मामलों के लिए आप www.cybercrime.gov.in पर अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। सरकार ने संकट के समय पर 1930 नंबर पर डायल कर मदद मांगने को भी कहा है। गृह मंत्रालय ने साथ ही एक उदाहरण के जरिए समझाने की कोशिश भी की है जिससे आप ऐसे मामलों से खुद को बचा सकें।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

अब आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर डिजिटल अरेस्ट होता क्या है। डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर फ्रॉड कहलाता है, जिसमें अपराधी लोगों को डरा धमकाकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। वे लोगों को यह बताते हैं कि वे किसी कानूनी पचड़े में फंस गए हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। यह धोखा अक्सर फोन कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया मैसेज के माध्यम से किया जाता है।

डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?

झूठा आरोप: आपको किसी अपराध में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया जाता है।
धमकी: आपको गिरफ्तारी, जेल या अन्य गंभीर परिणामों की धमकी दी जाती है।
पैसे मांगना: आपसे आपकी गलती सुधारने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।
दबाव बनाना: आपको जल्दी से पैसे देने के लिए दबाव बनाया जाता है।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

किसी पर भी भरोसा न करें: याद रखें, कोई भी सरकारी अधिकारी आपको फोन पर पैसे मांगने के लिए नहीं कहेगा।
जानकारी न दें: अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि बैंक खाता नंबर या क्रेडिट कार्ड नंबर, किसी को न दें।
पुलिस से संपर्क करें: अगर आपको ऐसा कोई संदेश या कॉल आता है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
जागरूक रहें: साइबर अपराधों के बारे में जागरूक रहें और अपने दोस्तों और परिवार को भी इसके बारे में बताएं।

डिजिटल अरेस्ट से जुडे़ मामले

डिजिटल अरेस्ट से जुड़े हालिया मामलों पर नजर डाल लेते हैं।

ईरान के पार्सल में अवैध सामान मिलने का झांसा देकर ठगे 1 लाख

यह हालिया घटना लखनऊ की है। ठाकुरगंज इलाके में रहने वाली एक युवती को साइबर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट करके एक लाख रुपये ठग लिए। साइबर जालसाजों ने मुंबई से ईरान भेजे जा रहे पार्सल में अवैध सामान मिलने का झांसा देकर पीड़िता को फंसाया गया था। पीड़िता की शिकायत पर ठाकुरगंज पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है।

हुसैनाबाद के गेंदखाना इलाके में रहने वाली ताजनीन खान ने पुलिस को बताया कि कुछ दिनों पहले एक अनजान नंबर से कॉल आई। फोनकर्ता ने अपना परिचय मुंबई एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम अधिकारी के रूप में दिया। पीड़िता को बताया कि आपका पार्सल रोका गया है। उसमें गैर कानूनी सामान है। उन्होंने पार्सल अपना होने से इनकार कर दिया तो जालसाज ने पार्सल से आधार लिंक होने और फोन नंबर भी लगा होने की बात कही। उसने बताया कि पार्सल मुंबई से ईरान भेजा जा रहा था।

सामने से अपराधी ने कहा कि विभाग ने मुंबई क्राइम ब्रांच में रिपोर्ट दर्ज करवा दी है, अब आपको मुंबई आकर बयान दर्ज करवाने होंगे। पीड़िता ने मुंबई न आ पाने की बात कही। इस पर जालसाजों ने उनको स्काइप ऐप के जरिए विडियो कॉल से कनेक्ट कर लिया। फोन के पीछे मौजूद शख्स ने पुलिस अधिकारी बन उनको डरवाते हुए कहा कि खाते की जांच होगी। सब सही निकला तो आपको क्लीन चिट मिल जाएगी। जांच के दौरान आप परिवार से संपर्क नहीं करेंगी। वरना आपको और परिवार को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ताजनीन ने बताया कि डरा-धमकाकर 3 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया। पूछताछ और जांच के नाम पर 98,887 रुपये ट्रांसफर करवा लिए। धोखाधड़ी का अहसास होने पर उन्होंने परिवारीजनों को आपबीती बताई। साइबर सेल में शिकायत करने के बाद उन्होंने ठाकुरगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। इंस्पेक्टर श्रीकांत राय ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

रिटायर प्रिंसिपल को 8 घंटे डिजिटल अरेस्ट करके दो लाख की ठगी

रिटायर प्रिंसिपल को डिजिटल अरेस्ट करके साइबर ठगों द्वारा 2 लाख रुपए ठग लेने का मामला शुक्रवार को सामने आया। जानकारी के अनुसार, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्रिंसिपल लोहा मंडी की रहने वाली सरोज भार्गव के मोबाइल पर 30 सितंबर की शाम को पुलिस अधिकारी का स्टेटस शो करता हुआ अनजान नंबर से एक वट्सऐप कॉल आया।

कॉल करने वाले ने कहा, मैं पुलिस अधिकारी सुनील कुमार बोल रहा हूं। आपके नाम से एक पार्सल मलेशिया भेजा गया है। इसमें कई फर्जी पासपोर्ट और एटीएम कार्ड और भारी मात्रा में ड्रग्स मिले हैं। इसे जब्त कर लिया गया है। आपकी गिरफ्तारी हो सकती है। मैंने अभी आपके नाम पर एफआईआर नहीं होने दी। अगर आपको केस से बाहर निकलना है तो आप मुझे तुरंत दो लाख रुपए दे दें। मैं अपने अधिकारी को समझा कर मामला खत्म करा दूंगा।

उसकी बात सुनकर सरोज भार्गव घबरा गईं। सरोज ने बताया, शाम चार बजे फोन आया था। इसके बाद से उसने मुझे फोन नहीं रखने दिया। वह बार-बार मुझे गिरफ्तारी की धमकी दे रहा था। उसने रात 12 बजे तक मुझे फोन पर उलझाए रखा। मोबाइल पर फर्जी लेटर भेजे। उसने कहा कि अगर फोन काटा और किसी को बताया तो परिवार के लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा जिससे मैं और भी ज्यादा घबरा गई। सरोज के अनुसार, उनके खाते में करीब डेढ़ लाख रुपए थे। ये पैसे उन्हें रिटायर होने के समय मिले थे। 50 हजार रुपए पेंशन के भी आ गए थे। ठगों ने सरोज से दो लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए।

डिजिटल अरेस्ट से चली गई जान

यह पहला उदाहरण हो सकता है जिसमें इस तरह की धोखाधड़ी के प्रयास में कथित रूप से एक महिला की जान चली गई हो। सोमवार को आगरा के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका 58 वर्षीय मालती वर्मा को एक व्यक्ति का व्हाट्सएप कॉल आया, जिसकी डिस्प्ले फोटो एक पुलिस अधिकारी की थी। उस व्यक्ति ने शिक्षिका को बताया कि उसकी कॉलेज जाने वाली बेटी सेक्स रैकेट में पकड़ी गई है। वर्मा के बेटे दीपांशु ने कहा कि दोपहर के आसपास फोन आया और उस व्यक्ति ने उसे एक विशेष खाते में 1 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसकी बेटी सुरक्षित घर वापस आ जाए और कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

टास्क दे जालसाजों ने हड़पे 2.33 लाख रुपये

सुशील कुमार यादव के अनुसार 14 सितंबर को जालसाजों ने उसके वॉट्सएप पर लिंक भेज उन्हें टेलिग्राम पर एक ग्रुप से जोड़ा। ऑनलाइन जॉब के नाम पर उनको प्रीपेड टास्क दे, यूपीआई के माध्यम से कई बार में ऑनलाइन 2,33,000 हड़प जमा करवा लिए। जब रुपये निकालने की कोशिश की तो उन्हें ग्रुप से रिमूव कर दिया गया। ठगी का अहसास होने पर पीड़ित ने आशियाना थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है।

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