चीन ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां मुहैया
कराने को लेकर ऑकस ग्रुप के खिलाफ IAEA में अपने मसौदा प्रस्ताव को वापस ले
लिया है। दरअसल, इस मामले पर भारत की ओर से जताए गए ऐतराज के बाद बीजिंग
को यह कदम उठाना पड़ा और वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ।
चीन ने 26 सितंबर से 30 सितंबर तक वियना में हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के आम सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कराने की कोशिश की। ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका) सुरक्षा साझेदारी की पिछले साल सितंबर में घोषणा की गई थी। सूत्रों ने बताया कि चीन ने तर्क दिया कि यह पहल परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत उनकी जिम्मेदारियों का उल्लंघन है।
भारत ने मामले पर उद्देश्यपूर्ण रवैया अपनाया
'भारत ने आईएईए की ओर से तकनीकी मूल्यांकन की सही ढंग से
पहचान की। साथ ही इस मामले में देश ने उद्देश्यपूर्ण रवैया अपनाया। वियना
में भारतीय मिशन ने इस संबंध में कई आईएईए सदस्य देशों के साथ मिलकर काम
किया। भारत की इस पहल में दूसरे देशों का भी समर्थन मिला।'
'भारत की सकारात्मक भूमिका ने कई छोटे देशों को चीनी प्रस्ताव पर स्पष्ट रुख अपनाने में मदद की। जब चीन ने महसूस किया कि उसके प्रस्ताव को बहुमत नहीं मिलेगा तो उसने 30 सितंबर को अपना मसौदा प्रस्ताव वापस ले लिया।' सूत्रों ने बताया कि भारत की कुशल और प्रभावशाली कूटनीति की आईएईए के सदस्य देशों, विशेष रूप से ऑकस सदस्यों ने सराहना की।