बीजिंग : चीन ने लो-वैक्यूम पाइपलाइन में चलने वाली अल्ट्रा-हाई-स्पीड मैग्लेव ट्रेन के साथ एक अत्याधुनिक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। सुपर-नेविगेशन व्हीकल के इस्तेमाल से तीन नेविगेशन टेस्ट पूरे कर लिए गए हैं। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 210 मीटर के टेस्ट रूट पर 50 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड होने पर भी सभी प्रणालियां ने सामान्य रूप से काम कर रही थीं। यह सफल प्रयोग 2023 की शुरुआत में हुआ था जो चीन में पहला फुल-स्केल सुपर-नेविगेशन एक्सपेरिमेंट है।
पहले की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य चीन के शांक्सी प्रांत के दातोंग में प्रोजेक्ट पर काम कर रहे शोधकर्ताओं ने संकेत दिया है कि उनका टारगेट रेलवे और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी को कंबाइन करके लो-वैक्यूम पाइपलाइनों में चलने वाली एक अल्ट्रा-हाई-स्पीड मेगा ट्रांसपोर्ट सिस्टम का निर्माण करना है। सरकार के स्वामित्व वाली चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (CASIC) की टीम को उम्मीद है कि वे अंततः बेहद पतली हवा वाले ट्यूब में मैग्लेव ट्रेनों को संचालित करने में सक्षम होंगे। जमीन पर 'स्पेस जैसा' सफर
आसान शब्दों में कहें तो वे विमानों की गति से 'जमीन पर उड़ेंगे।' मैग्लेव की टेक्नोलॉजी घर्षण को पूरी तरह खत्म कर देती है, लो-वैक्यूम पाइपलाइन में ट्रेन का संचालन करते समय प्रतिरोध (Resistance) और शोर (Noise) कम हो जाता है, जो ट्रेन ट्रांसपोर्टेशन में दो प्रमुख समस्याएं हैं। इस टेक्नोलॉजी के सफर की तुलना अंतरिक्ष में तैरने वाले स्पेस स्टेशन से की जा सकती है जो वैक्यूम में बिना किसी अवरोध के बेहद तेज गति से यात्रा करता है। चीन में नई औद्योगिक सामग्रियों के तेजी से विकास के कारण मैग्लेव ट्रेन का विकास संभव हुआ।
साढ़े सात मिनट में 30 किमी का सफर
हाई-स्पीड रेल का विकास चीन की एक प्रमुख प्राथमिकता है। इसका उद्देश्य अपने विशाल क्षेत्र को जोड़ना है, जिसमें न सिर्फ बड़े शहर बल्कि सुदूर इलाकों के क्षेत्र भी शामिल हैं। ट्रेन का सफर एक बड़े समूह के लिए समय और खर्च को कम कर देता है। वर्तमान में चीन के पास सिर्फ मैग्लेव लाइन कमर्शियल उपयोग में है जो शंघाई के पुडोंग हवाई अड्डे को शहर के लोंगयांग रोड स्टेशन से जोड़ती है। इस 30 किमी की यात्रा में सिर्फ साढ़े सात मिनट लगते हैं जिसमें ट्रेन 430 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।