ईरान को हिजाब विरोधी प्रदर्शनों को बर्बरता से दबाने की सख्त सजा मिली है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महिलाओं के लिए बने एक आयोग से बुधवार को उसे निकाल दिया गया । दरअसल महिलाओं के अधिकारों के हनन हवाला देते हुए अमेरिका ने UN की इकॉनोमिक एंड सोशल काउंसिल में ईरान के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया था।
इसमें सिफारिश की गई थी की ईरान को UN के महिला आयोग से निकाल दिया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव पर 54 देशों के सदस्यों वाली काउंसिल ने वोटिंग की जिसका 29 देशों ने समर्थन किया, जबकि रूस समेत 8 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। वहीं भारत समेत 16 देश अनुपस्थित रहे।
अमेरिका ने कहा, ईरान UN के महिला आयोग पर धब्बा
UN
में अमेरिकी राजदूत लिंडा थोमस ने इकॉनोमिक और सोशल काउंसिल में प्रस्ताव
पर वोटिंग से पहले कहा कि ईरान महिला आयोग की विश्वसनीयता पर धब्बा है, इसे
आयोग से निकाल देना ही सही होगा। जबकि UN में ईरान के राजदूत आमिर सैयद
इरावनी ने अमेरिका के नेतृत्व में लिए गए इस फैसले को गैरकानूनी बताया है।
रूस ने दिया ईरान का साथ
एक
तरफ जहां भारत ईरान के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव में वोट देने से
अनुपस्थित रहा, वहीं रूस ने इसका जमकर विरोध किया है। रूस के राजदूत ने भी
इसे गैरकानूनी बताया। रूस ने कहा कि ईरान को इस आयोग से निकालने से पहले
UN के लीगल एक्सपर्ट का ओपिनियन लिया जाना चाहिए था।
1946 में बना था UN का महिला आयोग
महिलाओं
के अधिकारों को लेकर साल 1946 में यह आयोग बनाया गया था। इस मुख्य काम
लैंगिक समानता औऱ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। यह आयोग हर साल मार्च
में एक बैठक करता है जिसमें पूरी दुनिया में महिलाओं के अधिकारों से जुड़े
मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में अब तक 450 लोगों की मौत
ईरान में पुलिस कस्टडी में हुई महसा अमिनी की मौत के बाद राजधानी तेहरान में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में अभी तक 450 लोगों की जान जा जुकी है। साथ ही इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए ईरान ने दो लोगों सरेआम फांसी पर भी लटकाया है।