नई दिल्ली: नरेला अनाज मंडी में धान की फसल की शुरुआत हो गई है, लेकिन किसान और व्यापारियों की उम्मीदों पर बाजार खड़ा नहीं उतर रहा है। इस्राइल और ईरान सहित गाजा में शुरू हुए युद्ध के बीच गल्फ कंट्री की उथल-पुथल का असर एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी कहे जाने वाली नरेला अनाज मंडी पर भी पड़ रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल यहां किसानों को मिलने वाले धान के दामों में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। यह गिरावट 25 से 30 परसेंट तक बताई जा रही है।
व्यापारियों का कहना है कि गल्फ कंट्री से चावल के डिमांड कम आने से यहां फसलों की खरीद नहीं हो पा रही है। दूसरी तरफ इस बार देश में खराब मौसम की वजह से फसलों की पैदावार भी कम हुई है। इसके कारण मंडी में करीब 30 से 40 परसेंट धान कम हो गई है। यहां काम करने वाले व्यापारियों ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में नरेला अनाज मंडी में प्रतिदिन 50 से 60 हजार क्विंटल धान मंडी में पहुंचता था जो कि इस बार घटकर 30 से 35000 क्विंटल प्रतिदिन ही रह गया है। नरेला अनाज मंडी में फसलों के कम आवक की मुख्य वजह यहां के व्यापारी नरेला से सटे हरियाणा के मंडियों में किसानों को सामान्य रेट मिलना भी बता रहे हैं।
चावल मिल बंद
व्यापारी शिवकुमार बिट्टू ने बताया कि दिल्ली में लगातार पल्यूशन के कारण दिल्ली के चावल मिल बंद कर दिए गए हैं। अब अधिकांश चावल मिल हरियाणा और दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं। व्यापारी अब वहीं की मंडियों में पहुंचकर धान की खरीद करते हैं। इसमें मुख्य रूप से हरियाणा का सोनीपत, पानीपत, खरखौदा, समालखा, कुरुक्षेत्र जैसी मंडी शामिल हैं। दिल्ली में मास्टर प्लान के अनुसार अब किसान नहीं हैं। इस मंडी में नगद खरीद-बिक्री होती थी। लिहाजा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान और कई राज्यों से लोग फसलों को बेचने के लिए आते थे, लेकिन अब यह चावल मिल भी नहीं होने के कारण और अन्य वजह से किसान अपने फसलों को उत्तर प्रदेश और हरियाणा की मंडियों में ही बेचना पसंद करते हैं।
फसल बेचने आए एक किसान जगतार सिंह ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस बार उनके धान के दाम उन्हें कम मिले हैं। किसान इस मंडी में नगद भुगतान और अच्छे रेट के लिए पहले आते थे, लेकिन इस बार न तो किसानों में अधिक रुचि दिखाई दे रही है और न ही मंडी में बेहतर फसलों के भाव मिल रहे हैं। हालांकि मंडी प्रशासन का कहना है कि 22 तारीख को केंद्र सरकार की तरफ से लिए गए निर्यात पर लगने वाले 10 परसेंट सेंस खत्म करने के फैसले के बाद से मंडी में फसलों के दाम बढ़ने की उम्मीद है।