तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिलाध्यक्ष मंडल को 5 अक्टूबर को फिर उसी अदालत में पेश किया जाएगा, जो विजयादशमी का दिन है। इसका मतलब है कि उन्हें दुर्गा पूजा का त्योहारी सीजन सलाखों के पीछे बिताना होगा।
बुधवार को मंडल के वकील ने उनके मुवक्किल को जमानत दिलाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि पशु तस्करी के मुख्य आरोपी इनामुल हक और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कमांडेंट सतीश कुमार को जमानत दे दी गई है, इसलिए कोई कारण नहीं है कि मंडल की जमानत अर्जी स्वीकार नहीं की जाएगी।
उनके वकील ने यह भी बताया कि मंडल के खिलाफ सीबीआई का मुख्य आरोप यह था कि वह पश्चिम बंगाल में एक जिले से दूसरे जिले में मवेशियों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार थे। इसलिए, जब सीमा पार मवेशियों की तस्करी के लिए वास्तव में जिम्मेदार लोग जमानत पर बाहर हैं, तो उनके मुवक्किल को जमानत देने से इनकार करने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने जमानत देने के आधार के रूप में मंडल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों को भी उजागर किया।
प्रतिवाद में सीबीआई के वकील ने कहा कि मंडल और उसके अंगरक्षक सहगल हुसैन दोनों के नए सबूत और नई संपत्ति हर दिन सामने आ रही है। ऐसे में अगर मंडल को इस समय जमानत दे दी जाती है तो पूरी जांच प्रक्रिया को झटका लग सकता है और एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते, मंडल जमानत याचिका का विरोध करते हुए सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश भी कर सकता है।
अंतत: दोनों पक्षों को सुनने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने मंडल की सीबीआई हिरासत को 14 दिनों के लिए और बढ़ा दिया।