राज्यवासियों को भ्रम की स्थिति में न रखें सरकार
पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए आजसू सुप्रीमो सह राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा है कि अगर जनभावना के अनुरूप स्थानीय नीति लागू करने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर हैं, तो सदन में कहे अनुसार उसे लागू करें. राज्य को भ्रम में रखने से उन्हें बचना चाहिए क्योंकि एक बार वे विधानसभा में कह चुके हैं कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू नहीं किया जा सकता. जबकि पांच सितंबर, 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति लागू करेंगे और ओबीसी को आरक्षण भी देंगे.
राज्य सरकार कर रवैया स्पष्ट नहीं
आजसू प्रमुख ने कहा कि चुनाव में भी JMM ने वादा किया था कि नये सिरे से स्थानीय नीति लागू करेंगे, लेकिन सरकार के तीन साल होने को हैं. इस मुद्दे पर उनका रुख और रवैया स्पष्ट नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि क्या JMM का वादा सिर्फ चुनावी वादा था.
नियोजन नीति की भी घोषणा करें
श्री महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर सदन में कोई बात कहें, तो उसकी गंभीरता भी दिखनी चाहिए. स्थानीय नीति के साथ सरकार नियोजन नीति भी लागू करे, लेकिन स्थानीय नीति और नियोजन नीति को लेकर सत्ता की अगुवाई करने वाले झामुमो पर लोगों का विश्वास नहीं ठहरता. तब झामुमो के अतीत पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं. अगर झामुमो चाहता, तो 1993 में झारखंड अलग राज्य बन जाता, लेकिन उसने सौदे की राजनीति चुनी.
23 सितंबर से शुरू करेंगे अभियान
उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति लागू करने में 1932 का खतियान केंद्र में रहना चाहिए, जबकि अंतिम सर्वे को इसका आधार बनाना होगा. आजसू पार्टी इस मुद्दे पर लगातार आवाज उठाती रही है और मौजूदा परिस्थितियों में सरकार पर दबाव बनाये रखने के लिए हम तत्पर हैं. 23 सितंबर को बिनोद बिहारी की जयंती के मौके पर पार्टी कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. इसके तहत हर विधानसभा क्षेत्र से कार्यकर्ता राजधानी रांची पहुंचेंगे. रांची में पैदल मार्च करते हुए राजभवन जाएंगे. साथ ही राज्यपाल को एक स्मार पत्र सौपेंगे, ताकि सरकार को कम से कम याद रहे कि खतियान आधारित स्थानीय नीति इस राज्य की जरूरत और भावना से जुड़ा है. लिहाजा आजसू पार्टी निर्णायक लड़ाई लड़ेगी.
जातीय जनगणना पर ही ओबीसी आरक्षण तय हो
आजसू प्रमुख ने कहा कि राज्य स्तर पर जातीय जनगणना कराने के लिए हम लगातार मुखर रहे हैं, लेकिन सरकार ने कोई पहल नहीं की है. जातीय जनगणना के आधार पर ही राज्य में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय होना चाहिए. जातीय जनगणना होने से राज्य की बड़ी आबादी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत का भी पता चलेगा. जातीय जनगणना नहीं होने से पंचायत चुनाव में ओबीसी के हजारों पद पर चुनाव लड़ने से यह समुदाय वंचित रह गया. आगे निकाय चुनाव है. ओबीसी आरक्षण पर राजनीति करने और मौके अनुसार बयान जारी करने के बदले जातीय जनगणना की सरकार घोषणा करे