संत के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप
इस बीच वकीलों के एक समूह ने कर्नाटक एचसी के महापंजीयक को पत्र लिखकर दावा
किया कि आरोपी संत के विरुद्ध जाच स्वंतत्र और निष्पक्ष तरीक से नहीं की
जा रही है। पत्र में दावा किया गया है, 'संत को जांच के लिए समन नहीं जारी
किया गया और न ही उनका मेडिकल टेस्ट किया गया। जांच की ये खामियां दर्शाती
हैं कि जांच में पहले से ही पूर्वाग्रह शामिल है।' मठ के प्रशासनिक
अधिकारी एस के बसवराजन ने कहा कि वह महंत के विरुद्ध किसी भी साजिश का
हिस्सा नहीं हैं और बच्चों की रक्षा करने की कोशिश कर उन्होंने बस अपना
दायित्व निभाया है। बसवराजन पर आरोप है कि छात्राओं की ओर से महंत पर लगाए
गए यौन उत्पीड़न के आरोप के पीछे उनका ही हाथ है। बसवराजन और उनकी पत्नी को
गुरुवार को प्रथम अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश से यौन उत्पीड़न के एक
अन्य मामले में जमानत दी। मठ की ही एक महिलाकर्मी ने बसवराजन के विरूद्ध
यौन उत्पीड़न और अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी।
पोक्सो और IPC के तहत संत के खिलाफ केस दर्ज
मैसुरु पुलिस ने यौन उत्पीड़न को लेकर शनिवार को यौन अपराध से बच्चों के
संरक्षण (पोक्सो) कानून और आईपीसी के तहत महंत के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज
की थी। जिला बाल संरक्षण इकाई के एक अधिकारी की शिकायत पर मठ के छात्रावास
के वार्डन समेत कुल पांच लोगों के विरुद्ध यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस गुरुवार को वार्डन से पूछताछ की।
दो लड़कियों (पीड़िताओं) ने मैसुरु में गैर-सरकारी सामाजिक संगठन 'ओडनाडी सेवा समस्थे' से संपर्क कर उसे आपबीती बताई थी। उसके बाद संगठन ने पुलिस प्रशासन से संपर्क किया। तब पुलिस ने मामला दर्ज किया था। इस मामले को चित्रदुर्ग स्थानांतरित किया गया, क्योंकि यह कथित अपराध वहां हुआ है। आरोप है कि मठ की छात्रावास में रहने वाली 14 और 15 साल की छात्राओं का यौन उत्पीड़न जनवरी, 2019 से जून, 2022 के बीच किया गया था। महंत पर बाद में अनुसूचित जाति/जनजाति (उत्पीड़न रोकथाम) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया। महंत की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे।