खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि प्रदेश के बंदर प्रोजेक्ट और पन्ना एनएमडीसी खदान को पुन: शुरू करने की स्वीकृति दी जाए। ये दोनों प्रोजेक्ट वन क्षेत्र में होंने की वजह से केन्द्रीय वन मंत्रालय की समिति के समक्ष विचार के लिए लंबित हैं। केन्द्रीय खान एवं कोयला और केन्द्रीय वन मंत्रालय के समन्वित प्रयास से खनिज क्षेत्र के अनेक मामले हल किये जा सकते हैं।
खनिज मंत्री सिंह हैदराबाद के गचिबोवली में केन्द्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय के "नेशनल माइनिंग मिनिस्टर कॉन्क्लेव" को संबोधित कर रहे थे। कॉन्फ्रेंस में केन्द्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, सभी राज्यों के खनिज मंत्री, खदानों के प्रधान सचिव और राज्यों के डीएमजी एवं डीजीएम शामिल हुए।
खनिज मंत्री सिंह ने कहा कि बंदर प्रोजेक्ट और पन्ना एनएमडीसी की खदान के चालू होने से 23 हजार करोड़ रूपये से अधिक का रिवेन्यू जनरेट होगा। हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा और सोशल वेलफेयर के कई कार्य भी होंगे।
खनिज मंत्री सिंह ने कहा कि एनएमडीसी खदान 1968 से चालू थी। कई वर्ष बाद वन विभाग के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में आने के कारण इसे बंद किया गया। यह वर्टिकल खदान है, इसलिए वन क्षेत्र को नुकसान नहीं है। इसे पुन: शुरू करने के लिए केन्द्र और मध्यप्रदेश के वन विभाग से स्वीकृति मिल गई है। यह प्रकरण केन्द्र की पावर कमेटी के समक्ष लंबित है। केन्द्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय के समन्वय से एनएमडीसी की खदान को पुन: शुरू किया जा सकता है। खनिज मंत्री सिंह ने कहा कि लाइम स्टोन की रॉयल्टी को भी अपडेट करने की आवश्यकता है। अगर यह अपग्रेड होगी तो शासन को अधिक राजस्व मिलेगा।
खनिज मंत्री सिंह खनिज क्षेत्र से संबंधित कई माँग को स्वीकृति करने के लिए केन्द्रीय मंत्री जोशी का आभार माना तथा उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि खनिज क्षेत्र में केन्द्रीय वन विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से संबंधित प्रकरणों का निराकरण केन्द्रीय खान मंत्रालय के समन्वय से हो रहा है। उन्होंने कहा कि कॉन्फ्रेंस होने से अनेक समस्याएँ तुरंत हल हो जाती है। खनन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन पर हम तेजी से काम कर पाएंगे।