इस्लामाबाद : पाकिस्तान की जनता के लिए आने वाले महीने और मुश्किल हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तानी अधिकारियों से कहा है कि राजस्व घाटे को एक सीमा के भीतर सीमित करने के लिए कड़ी कार्रवाई करें। पाकिस्तान और आईएमएफ के उच्च अधिकारियों ने मिनी बजट के माध्यम से प्रस्तावित काराधान उपायों के तरीके पर विचार-विमर्श किया और इसके सुचारू संचालन की संभावना पर चर्चा की। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान सरकार आने वाले दिनों में जनता पर टैक्स का बोझ और बढ़ा सकती है।
पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट द न्यूज की खबर के अनुसार दोनों पक्षों ने मंगलवार को 7 अरब डॉलर ईएफएफ (Extended Fund Facility) के तहत 9वीं समीक्षा को पूरा करने के लिए वार्ता शुरू की। पाकिस्तान सरकार ने 300 अरब रुपए के नए टैक्स उपायों का एक मसौदा तैयार किया है। टैक्स कानून संशोधन अध्यादेश 2023 के तहत इन्हें लागू किया जा सकता है। आईएमएफ ने आगामी अध्यादेश को कोर्ट में घसीटे जाने की संभावना जताई, जो अतिरिक्त कर राजस्व को खतरे में डाल सकता है।
'अब तक की सबसे कठिन वार्ता'
वित्त मंत्री इशाक डार का कहना है कि अध्यादेश को आखिर में संसद के समक्ष रखा जाएगा और वे संसद की सर्वोच्चता में विश्वास करते हैं। आईएमएफ मंगलवार को पाकिस्तान को बेनजीर इनकम सपोर्ट प्रोग्राम (BISP) के माध्यम से समाज के गरीब तबके को राहत देने के लिए सहमत हो गया। लेकिन उसने वित्तीय अनुशासन के 'सख्त पालन' पर जोर दिया। विश्लेषकों ने तकनीकी स्तर की वार्ता को 'अब तक की सबसे कठिन' करार दिया है।
शहबाज शरीफ को सता रहा डर
पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट की चपेट में है। पाकिस्तानी रुपया लगातार गिर रहा है, देश में महंगाई दर बढ़ रही है और ऊर्जा की आपूर्ति ठप्प हो चुकी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आगामी चुनाव से पहले जनता के आक्रोश का डर सता रहा है, जो आईएमएफ की मांग पर टैक्स बढ़ोत्तरी और सब्सिडी हटाने का विरोध कर सकती है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अचानक बढ़ोत्तरी भी आईएमएफ की शर्तों का परिणाम है