नई दिल्ली: टैक्स रिटर्न में 1 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्सेबल इनकम का खुलासा करने वाले व्यक्तियों की संख्या एसेसमेंट ईयर 2013-14 में 44,078 थी जो एसेसमेंट ईयर 2023-24 में पांच गुना बढ़कर करीब 2.3 लाख हो गई है। यह हाई इनकम और बेहतर अनुपालन का संकेत हो सकता है। इनकम टैक्स विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान इंडिविजुअल टैक्स रिटर्न की संख्या 3.3 करोड़ से 2.2 गुना बढ़कर 7.5 करोड़ से अधिक हो गई। पिछले टैक्स एसेसमेंट ईयर में 1 करोड़ रुपये से अधिक आय घोषित करने वाले सैलरीड लोगों की हिस्सेदारी 52% के करीब थी। एवाई 2022-23 में यह 49.2% और एवाई 2013-14 में 51% थी।1-5 करोड़ रुपये के सेगमेंट में सैलरीड लोगों की हिस्सेदारी 53% थी। लेकिन जैसे-जैसे आय का स्तर बढ़ता गया, वेतनभोगी कम होते गए। इसमें कारोबारियों और प्रोफेशनल की संख्या बढ़ती गई। उदाहरण के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक एनुअल टैक्सेबल इनकम घोषित करने वाले 23 लोगों में से कोई भी वेतनभोगी व्यक्ति नहीं था जबकि 100-500 करोड़ रुपये के सेगमेंट में 262 में से 19 वेतनभोगी थे।
दो से 19
एवाई 2013-14 में केवल एक व्यक्ति ने 500 करोड़ रुपये से अधिक आय घोषित की थी, जबकि 100-500 करोड़ रुपये के ग्रुप में दो टैक्सपेयर थे। हालांकि 25 करोड़ रुपये से अधिक की आय का खुलासा करने वाले व्यक्तियों की संख्या में मामूली गिरावट आई है। पिछले एसेसमेंट ईयर में यह संख्या 1,798 रह गई जो एवाई 2022-23 की तुलना में 1,812 थी। वेतनभोगियों में भी 10 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले वर्ग में भी ऐसा देखने को मिला। एवाई 2022-23 में यह संख्या 1,656 थी जो 2023-24 में 4.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,577 रह गई।
एवाई 2023-24 के दौरान दाखिल आयकर रिटर्न में 4.5 लाख रुपये से 9.5 लाख रुपये की आय वर्ग के व्यक्तियों की हिस्सेदारी 52% थी। एवाई 2013-14 में 1.5-3.5 लाख रुपये के वर्ग से 54.6 रिटर्न आए थे। इससे साफ है कि लोगों की इनकम बढ़ी है। हर चार रिटर्न में से एक 5.5-9.5 लाख रुपये के वर्ग में था जबकि हर पांच में से एक 2.5-3.5 लाख रुपये के वर्ग से आया था। सकल कुल आय के संदर्भ में 5.5-9.5 लाख रुपये की कैटगरी ने अपना दबदबा बनाया है जो 23% से अधिक हिस्सेदारी रखता है। एवाई 2013-14 में इस क्लास की हिस्सेदारी 18% थी।
क्या-क्या हुए बदलाव
एसेसमेंट ईयर 2023-24 में साथ ही कई और बदलाव भी देखने को मिले हैं। उदाहरण के लिए इनकम के मामले में 10-15 लाख रुपये की इनकम वाला ब्रैकेट 12% से अधिक की हिस्सेदारी के साथ दूसरा सबसे बड़ा कंट्रीब्यूटर है। उसके बाद 25-50 लाख रुपये वाले टैक्सपेयर्स का नंबर है जिसकी हिस्सेदारी 10% है। इसके विपरीत एसेसमेंट ईयर 2013-14 के दौरान 2.5-3.5 लाख रुपये इनकम वाली कैटगरी 12.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर थी।