नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि केवल
कानून पिछड़े समुदायों की मदद नहीं कर सकता है। उनके उत्थान के लिए "दिल और
दिमाग" में बदलाव की जरूरत है। रविवार को कानपुर के नाना राव पार्क में
महर्षि वाल्मीकि की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में मोहन भागवत
ने कहा, देश को संविधान देते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने टिप्पणी की थी कि जो
पिछड़ा हुआ है, उसे सबके समान तब तक नहीं समझा जाएगा, जब तक कि वह समाज के
अन्य लोगों के साथ उठने-बैठने न लगे।''
उन्होंने कहा, ''फैक्ट ये यह है कि, कानून स्थापित करने से सब कुछ नहीं होगा, दिल और दिमाग को बदलने की जरूरत है, कानून ने राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता ही दी है बस।'' वाल्मीकि समुदाय पर मोहन भागवत ने कहा, ''अगर हम महर्षि वाल्मीकि नहीं होते तो हम भगवान राम के बारे में नहीं जानते। नारदजी ने उन्हें रामायण) लिखने के लिए प्रेरित किया था।'' उन्होंने कहा, वाल्मीकि जयंती उन लोगों के लिए अहम है जो इंसान बनना चाहते हैं। लोग महर्षि वाल्मीकि से करुणा, समर्पण और कर्तव्य सीख सकते हैं।
मोहन भागवत ने इस दौरान वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों से संघ की शाखाओं में शामिल होने की अपील भी की। मोहन भागवत ने कहा, "संघ वाल्मीकि समुदाय के साथ मजबूती से खड़ा है, हम अपनी पूरी क्षमता से आपके साथ हैं, हमारे कार्यकर्ता किसी भी मुद्दे पर मदद के लिए मौजूद हैं।"