मरकाम ने कहा कि देश जब कोरोना महामारी से जूझ रहा था तब भी सेवा का अवसर मिला था तब भाजपा की केन्द्र सरकार और मोदी दोनो अपने कर्तव्य से मुंह चुरा लिये थे। गंगा में लाशे बहती रही लोगों को अस्पताल, दवाई, आक्सीजन के लिये भटकना पड़ा। कोविडकाल के दौरान जब देश के मजदूर पैदल भूखे चल रहे थे सड़को पर मर रहे थे तब सेवा नही कर रहे तब ताली थाली बजा रहे थे। लाखों लोगो की जान गयी तब भाजपा ने सेवा भावना नही दिखाया अब सेवा की बात कर जनता के जले में नमक छिड़कने का काम कर रहे।
उन्होंने कहा कि सेवा पखवाड़ा को महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर से जोड़ कर भाजपा बहुरूपिया कालनेमी बनने की नयी नौटंकी कर रही है। एक तरफ तो गोडसे के जिंदाबाद करने का नारा लगाते है दूसरी ओर गांधी जी के भक्त बनना चाहते है। महात्मा गांधी के अनुयायी बनने के पहले नाथूराम गोडसे मुदार्बाद का नारा लगाने का साहस तो दिखाये। गोडसे की पूजा करेंगे और महात्मा गांधी के अनुयायी बनने का नौटंकी करेंगे दोनो एक साथ नही चलेगा। देश की जनता समझ चुकी है भाजपा का महात्मा गांधी के प्रति प्रेम का दिखावा और अनुयायी बनने का स्वांग राजनैतिक नौटंकी है।