ढाका: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली ढाका की अंतरिम सरकार बांग्लादेश को तालिबानी रास्ते पर ले जा रही है। शेख हसीना को हटाने के बाद आई अंतरिम सरकार अब बांग्लादेश को आजादी दिलाने वाले शेख मुजीबुर रहमान से जुड़ी यादों को मिटाने के मिशन पर लग गई है। इसी कड़ी में शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में देश के मुक्ति संग्राम से जुड़े 7 मार्च और 15 अगस्त के समारोह समेत आठ राष्ट्रीय दिवसों को रद्द करने फैसला किया है। 1971 की आजादी आंदोलन की भावना के खिलाफ इस फैसले की बांग्लादेश में ही आलोचना हो रही है।बांग्लादेश में पाकिस्तान के मन की
अवामी लीब ने अपने वेरीफाइड फेसबुक पेज पर फैसले को लेकर लिखा, 'अवैध यूनुस सरकार रीसेट बटन दबाकर बांग्लादेश के जन्म के इतिहास से जुड़ी हर चीज को मिटा देना चाहती है।' अवामी लीग ने फैसले को दुस्साहस बताया और कहा कि यह बांग्लादेश में पाकिस्तान की विचारधारा को बढ़ाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा था। इसने अंतरिम सरकार पर ऐतिहासिक प्रतीकों को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने का आरोप लगाया, जिसमें 5 अगस्त को बंगबंधु की मूर्तियों को तोड़ना भी शामिल था।
अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश की आजादी के इतिहास से जुड़े अन्य राष्ट्रीय दिवसों को भी निशाना बनाया है। इसमें 17 मार्च को राष्ट्रपिता के जन्मदिन को राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाए जाने को रद्द करना और 4 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने को खत्म करने का फैसला शामिल है।
शेख मुजीब नहीं जिन्ना का जन्मदिन
अवामी लीग ने फैसले की आलोचना करते हुए का, 'सरकार शेख मुजीब को राष्ट्रपति के रूप में मान्यता नहीं देती है। इसके बजाय अब यह पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का जन्मदिन मनाता है।' अवामी लीग ने लोगों से यूनुस सरकार के अवैध कामों और राष्ट्रीय इतिहास को मिटाने के खिलाफ मुखर विरोध करने का आह्वान किया।
अंतरिम सरकार के फैसले की आलोचना
वहीं, बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर अंतरिम सरकार में सलाहकार नाहिद इस्लाम की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त की, जिसमें उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता के रूप में मान्यता नहीं देती है। इस्लाम ने कहा, 'हमारा इतिहास 1952 में शुरू नहीं हआ। हमारे पास 1947 में ब्रिटिश विरोधी संघर्ष है। फिर 1971, 1990 और अब 2024 में। हमारे पास कई फादर ऑफ नेशन हैं और हमारी स्वतंत्रता उनके सामूहिक संघर्षों से आई है।'