अदालत को अंधेरे में रख डबल-मर्डर का दोषी जेल से आया बाहर, अब सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील से मांगी सफाई

Updated on 03-10-2024 02:17 PM
नई दिल्ली: दिल्ली की तिहाड़ जेल से डबल मर्डर के दोषी को रिहाई मिलने के मामले ने सुप्रीम कोर्ट को हिला कर रख दिया है। इस मामले में कई चौंकाने वाली बातों को छिपाया गया था। इसी वजह से सर्वोच्च अदालत ने एक वरिष्ठ वकील से जवाब तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने गौर किया कि समय से पहले रिहाई के लिए हाल के दिनों में कम से कम आधा दर्जन मामलों में स्पष्ट रूप से झूठे बयान सामने आए हैं, जिससे चिंता और गहरा गई।

दिल्ली डबल मर्डर केस में बड़ा अपडेट


पूरा मामला जितेंद्र कालिया नाम के एक दोषी से जुड़ा है, जिसे 1999 में दिल्ली में हुए दोहरे हत्याकांड में शामिल होने का दोषी ठहराया गया था। कालिया ने सतर्कता बरतते हुए अपनी अपील में इस अहम फैक्ट को छुपाया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में दी गई सजा में स्पष्ट कहा था कि वह 30 साल की कठोर कारावास पूरी करने से पहले माफी पाने का हकदार नहीं था।

कैसे सजायाफ्ता कैदी आया जेल से बाहर


जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मैसीह की पीठ ने वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा को नोटिस जारी किया। इस मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा है। यह कदम मामले में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड द्वारा दिए गए हलफनामे के बाद उठाया गया है। इसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने वरिष्ठ वकील के कहने पर ही अपील पर हस्ताक्षर किए थे। हलफनामे में जो कुछ भी कहा गया है, उसे देखते हुए, हम इस अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता, ऋषि मल्होत्रा को नोटिस जारी करते हैं। जिससे यह बताया जा सके कि हलफनामे में क्या कहा गया है। ये बातें पीठ ने 30 सितंबर के अपने आदेश में कहा।

30 साल से पहले माफी का हकदार नहीं था कैदी

एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, जयदीप पति ने शीर्ष अदालत को बताया कि उन्होंने दोषी जितेंद्र कालिया द्वारा दायर अपील पर उस वरिष्ठ वकील के कहने पर हस्ताक्षर किए थे। जिनके चैंबर में वह एक जूनियर थे। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने मई में खबर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र कालिया को दी गई राहत को वापस ले लिया था। ऐसा तब हुआ जब कोर्ट को पता चला कि समय से पहले रिहाई की उनकी याचिका में इस महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाया गया। वह कठोर कारावास के 30 साल से पहले माफी के लिए विचार किए जाने के हकदार नहीं थे। यह शर्त खुद सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में लगाई थी।

जितेंद्र कालिया ने कैसे डबल मर्डर को दिया अंजाम


यह मामला 10 मार्च, 1999 का है, जब दिल्ली में हिला देने वाला दोहरा हत्याकांड हुआ था। कालिया ने उत्तरी दिल्ली में एक शादी समारोह में अटैक किया और सत्यवती कॉलेज छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल भड़ाना की गोली मारकर हत्या कर दी। कालिया ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि भड़ाना एक आपराधिक मामले में उसके खिलाफ गवाही देने वाला था। उसी रात, वह एक चश्मदीद गवाह सुमित नैय्यर के घर गया, जिसने पुलिस को भड़ाना के हत्या की जानकारी दी थी। उसके पिता की छाती में तीन गोलियां मारकर उसकी हत्या कर दी थी।

30 साल से पहले माफी का हकदार नहीं था कैदी

एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, जयदीप पति ने शीर्ष अदालत को बताया कि उन्होंने दोषी जितेंद्र कालिया द्वारा दायर अपील पर उस वरिष्ठ वकील के कहने पर हस्ताक्षर किए थे। जिनके चैंबर में वह एक जूनियर थे। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने मई में खबर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र कालिया को दी गई राहत को वापस ले लिया था। ऐसा तब हुआ जब कोर्ट को पता चला कि समय से पहले रिहाई की उनकी याचिका में इस महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाया गया। वह कठोर कारावास के 30 साल से पहले माफी के लिए विचार किए जाने के हकदार नहीं थे। यह शर्त खुद सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में लगाई थी।

जितेंद्र कालिया ने कैसे डबल मर्डर को दिया अंजाम


यह मामला 10 मार्च, 1999 का है, जब दिल्ली में हिला देने वाला दोहरा हत्याकांड हुआ था। कालिया ने उत्तरी दिल्ली में एक शादी समारोह में अटैक किया और सत्यवती कॉलेज छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल भड़ाना की गोली मारकर हत्या कर दी। कालिया ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि भड़ाना एक आपराधिक मामले में उसके खिलाफ गवाही देने वाला था। उसी रात, वह एक चश्मदीद गवाह सुमित नैय्यर के घर गया, जिसने पुलिस को भड़ाना के हत्या की जानकारी दी थी। उसके पिता की छाती में तीन गोलियां मारकर उसकी हत्या कर दी थी।

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