वे 5 गलतियां जो बायजू को पड़ गईं भारी, यूं ही नहीं हुई कंपनी की वैल्यू जीरो

Updated on 20-10-2024 12:33 PM
बायजू की वैल्यू जीरो यूं ही नहीं हुई है। कंपनी ने पिछले कुछ समय में ऐसे फैसले लिए जो उस पर अब भारी पड़ गए हैं। बायजू पर आज भारी कर्ज है। साथ ही इस कंपनी को रेगुलेटरी जांच से भी गुजरना पड़ रहा है और उनसे अपनी फाइनेंशियल रिपोर्टिंग में देरी की है। इससे कंपनी की वित्तीय हालत और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हुए हैं। फिलहाल कंपनी दिवालियापन संकट से जूझ रही है।

1. कंपनियां खरीदना


बायजू ने बड़ी कंपनी बनने के लिए कई कंपनियों का अधिग्रहण किया। कोरोना के समय ऑनलाइन एजुकेशन में बूम आने के कारण कंपनी ने खुद को विस्तार करने की योजना बनाई। ऐसे में इसने व्हाइटहैट जूनियर और ग्रेट लर्निंग जैसी कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया। इसमें व्हाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण करीब एक बिलियन डॉलर में किया था। इससे बायजू पर 1.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज हो गया। यह कंपनी के रेवेन्यू से कहीं ज्यादा था।

2. कोरोना के बाद आई मंदी


कोरोना से पहले जहां ऑनलाइन एजुकेशन सेक्टर बूम पर था तो वहीं इसके बाद इसमें तेजी से मंदी आई। इसका कारण था कि स्टूडेंट वापस स्कूल जाने लगे और कोचिंग भी ऑफलाइन मोड में शुरू हो गईं। चूंकि बायजू ऑनलाइन एजुकेशन की सुविधा देती है, ऐसे में इस कंपनी पर भी बुरा असर पड़ा। वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी ने 5592 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया। वहीं पिछले वर्ष के दौरान यह घाटा 2428 करोड़ रुपये था।


3. कंपनी पर बढ़ता कर्ज


कंपनी पर कर्ज लगातार बढ़ता गया। कोरोना के समय कंपनियों को खरीदने के कारण कंपनी पहले से ही कर्ज में थी। इसके बाद कंपनी ने मार्केटिंग में भी भारी रकम खर्च की। इसके लिए कंपनी ने कई बड़े आयोजन किए और सेलिब्रिटी को भी अपने विज्ञापनों में शामिल किया। इसने इन चीजों से भी कंपनी के कर्ज में इजाफा किया।


4. कानूनी विवाद में पड़ना


जब कंपनी पर कर्ज बढ़ गया तो वह उसे चुकाने में नाकाम रहने लगी। इस कारण जो लेनदार थे, उन्होंने कंपनी पर कोर्ट केस दायर करना शुरू कर दिया। यही नहीं, कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का भी कंपनी से कानूनी विवाद चल रहा है।


5. अच्छा प्रदर्शन नहीं


कंपनी को आंतरिक स्तर पर भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई ऐसे मामले सामने आए जब स्टूडेंट ने शिकायत की कि उन्हें अच्छे से पढ़ाया नहीं जा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई मामले सामने आए। कंपनी ने इसने कोई सबक नहीं लिया। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 की वित्तीय रिपोर्ट में भी लगभग एक साल की देरी की, जिससे निवेशकों का विश्वास काफी कम हो गया।



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