अडानी समूह (Adani Group) के लिए अच्छी खबर आई है। पिछले दिनों फिच ग्रुप की क्रेडिटसाइट्स ने अडानी समूह को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। लेकिन अब इस इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी (International Rating Agency) की यूनिट ने अडानी समूह के लोन स्ट्रक्चर को लेकर अपने पुराने रुख में परिवर्तन किया है। एजेंसी ने अपने पुराने बयान को सुधारते हुए कहा है कि कैलकुलेशन में गलती हो गई थी। बता दें, अपनी पहली रिपोर्ट में क्रेडिटसाइट्स ने कहा था कि अडानी समूह पर लोन अधिक है। और वह कर्ज के जाल में फंस सकती है। फिच की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप ने बयान जारी करके कहा था कि पब्लिक सेक्टर के आधे से अधिक लोन को चुका दिया गया है।
फिच की नई रिपोर्ट में क्या है?
दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी की कंपनी के विषय में फिच ने कहा है कि एक यूनिट के बदले लोन अधिक है, जिससे भविष्य के अधिग्रहण की वजह से क्रेडिट प्रोफाइल को झटका लग रहा है। इसके अलावा क्रेडिटसाइट्स ने अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी पावर लिमिटेड के प्रॉफिट और लोन के आंकड़ों को भी कैलकुलेशन की गलती मानते हुए सुधार लिया है। बता दें, फिच की पुरानी रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी।
फिच की पहली रिपोर्ट में क्या था?
क्रेडिटसाइट्स की पहली रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह द्वारा किए गए आक्रामक विस्तार ने इसके क्रेडिट मेट्रिक्स और नकदी प्रवाह पर दबाव डाला है। इससे समूह कर्ज के जाल में आ सकता है। एजेंसी ने अडानी समूह के प्रमोटर्स से फंड इन्फ्यूजन का जिक्र करते हुए बताया था कि हमें समूह की कंपनियों में प्रमोटर इक्विटी पूंजी इंजेक्शन के बहुत कम सबूत दिखाई देते हैं।
कितना रह गया कर्ज?
अडानी समूह के पास उपलब्ध नकदी को ध्यान में रखें, तो उसपर मार्च, 2022 में 1.88 लाख करोड़ रुपये का सकल कर्ज और 1.61 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लोन था। समूह ने बताया था कि वित्त वर्ष 2015-16 में उसकी कंपनियों के कुल कर्ज में सार्वजनिक बैंकों से लिए गए कर्ज का अनुपात 55 प्रतिशत पर था लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में यह घटकर कुल कर्ज का सिर्फ 21 प्रतिशत रह गया है।