इस्लामाबाद : भारत ने 488 आवेदकों के बजाय सिर्फ 249 पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों को अजमेर शरीफ आने के लिए वीजा जारी किया है। रेडियो पाकिस्तान ने रविवार को बताया कि धार्मिक मामलों और आपसी सद्भाव मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, 200 से अधिक पाकिस्तानी तीर्थयात्री अजमेर शरीफ नहीं जा पाएंगे। भारत आने वाले पाकिस्तानी या तो किसी धार्मिक स्थल की यात्रा के उद्देश्य से यहां आते हैं या अपने किसी रिश्तेदार से मिलने। भारत सरकार पुख्ता दस्तावेज होने पर इन्हें वीजा जारी करती है। लेकिन कई बार कुछ ऐसे लोग भी भारतीय सीमा में दाखिल हो जाते हैं जिनके इरादे हिंदुस्तान के खिलाफ होते हैं।पाकिस्तानी प्रवक्ता ने बताया कि भारत में तीर्थयात्रियों की देखभाल के लिए नियुक्त किए गए छह अधिकारियों को वीजा देने से भी इनकार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि छह में से सिर्फ एक अधिकारी को जायरीन (तीर्थयात्रियों) के साथ जाने की अनुमति दी गई है। प्रवक्ता ने कहा कि सभी जायरीन को एसएमएस के जरिए लाहौर पहुंचने की सूचना दे दी गई है जहां से वे मंगलवार को भारत के लिए रवाना होंगे।
भारत आते रहते हैं पाक तीर्थयात्री
ये वीजा एप्लीकेशन क्यों खारिज किए, इसका कारण स्पष्ट नहीं है। पाकिस्तान से मुस्लिम तीर्थयात्री भारत में हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया, हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और हजरत अमीर खुसरो जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा करने आते हैं। भारत से भी लोग करतारपुर साहिब और अन्य प्राचीन गुरुद्वारों और मंदिरों के दर्शन करने पाकिस्तान जाते हैं। लेकिन पाकिस्तान से आने वाले यात्रियों में स्लीपर सेल के भारत पहुंचने का खतरा बना रहता है।
पाकिस्तान फौज के पास जासूसों का नेटवर्क
राजस्थान में पाकिस्तान सीमा पर पाक फौज के पास जासूसों का बड़ा नेटवर्क है। अक्सर भारतीय सेना इन्हें बॉर्डर से पकड़ती है। ये जासूस भारत आते हैं और आम लोगों की तरह ही रहते हैं। यहां से ये जासूस खुफिया और संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान भेजते हैं। पाकिस्तानी सेना छोटे-मोटे लालच के बदले लोगों को भारत भेजकर जासूसी करवाती है जिन्हें 'स्लीपर सेल' कहा जाता है। पाक खुफिया एजेंसी कई बार एजेंट बनाने के लिए भारत में ऐसे लोगों से संपर्क करती है जिनके रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं।