असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गुवाहाटी में छठ पर्व पर आयोजित
समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने पांडु घाट पर श्रद्धालुओं से
मुलाकात की और सभी की सुख, समृद्धि की कामना की। छठ पर्व सूर्य और छठी मैया
को समर्पित होता है। इस दौरान नियमों को ध्यान में रखते हुए तैयारियां की
जाती हैं। अपने खास तैयारियों के चलते ही यह पूजा अन्य हिंदू त्योहारों से
अलग और बेहद खास होती है।
सीएम सरमा ने सोमवार को ट्वीट किया, 'बृह्नमपुत्र के किनारे पांडु पोर्ट
घाट पर पहुंचकर और छठ मैया के भक्तों के साथ समय बिताकर सौभाग्यशाली महसूस
कर रहा हूं। छठ पूजा करने वाले भक्तों के साथ रहना दिव्य एहसास था। छठ
मैया से सभी के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।'
क्यों खास है छठ पर्व
इस पर्व को मनाने की प्रक्रिया पर गौर करें, तो यह एक एकमात्र ऐसा हिंदू
त्योहार हैं, जिसमें पुजारी या पुरोहित शामिल नहीं होते। इस दौरान किसी
मूर्ति की पूजा नहीं की जाती। साथ ही रस्में पूरी करने के लिए पुजारी या
पुरोहित की जरूरत नहीं होती। एक और खास बात यह है कि इस दौरान केवल उगते ही
नहीं, ढलते सूर्य की भी पूजन की जाती है।
कैसे होती है पूजा
4 दिनों की पूजा का पहला चरण 'नहाय खाय' होता है। इसके बाद दूसरे चरण में
'खरना' होता है। तीसरे चरण में 'संध्या अर्घ्य' और चौथे चरण में 'सुबह
का अर्घ्य'। इस पूजा में स्नान, निर्जल व्रत, पानी में खड़े होना और प्रसाद
देना भी शामिल है। आमतौर पर प्रसाद में थेकुआ, खजूरिया, टिकरी, कासर और फल
दिए जाते हैं। इस दौरान सभी भोजन पूरी तरह शाकाहारी होता है, जिसमें नमक,
प्याज या लहसुन शामिल नहीं किया जाता।
महिलाएं निभाती हैं मुख्य भूमिका
छठ पर्व महिलाएं और पुरुष दोनों ही बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, लेकिन फिर
भी पूजा करने में मुख्य भूमिका महिलाएं निभाती हैं। उन्हें पर्वेतिन कहा
जाता है। इस त्योहार को मनाने के लिए बड़े-बड़े पंडाल या मंदिरों की जरूरत
नहीं होती।