Neuro-Linguistic Programming या NLP ऐसी स्किल्स हैं जिससे सामने वाले के बारे में काफी कुछ बताया जा सकता है। यह साइकोथेरेपी का एक स्यूडोसाइंटिफिक तरीका है। पहली बार NLP का जिक्र हुआ 1975 में। रिचर्ड बैंडलर और जॉन ग्राइंडर ने अपनी किताब The Structure of Magic I. NLP में दावा किया कि दिमाग की हलचल का भाषा और व्यवहार से रिश्ता है।
NLP तीन शब्दों- न्यूरो, लैंग्वेज और प्रोग्रामिंग का मेल है और तीनों को जोड़कर देखने से काफी सारी चीजें पता चलती हैं। हमारे दिमाग और शरीर की हालत शब्दों और नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन से बयान होती है। मनोस्थिति के आधार पर हमारा बात करने का तरीका और व्यवहार बदल जाता है। NLP में यह सिखाते हैं कि कैसे हाव-भाव और शब्दों के पीछे छिपी बात जानी जाए।
बातचीत के दौरान हम में से ज्यादातर का ध्यान शब्दों पर रहता है। सामने वाला क्या कहना चाह रहा है और मैं जवाब में क्या कहूं... साइकोलॉजिस्ट्स यह बात साबित कर चुके हैं कि शब्दों से सिर्फ 7% बात ही समझ आती है। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी से कोई चीज मांगें और जवाब में वो भले ही हां कहे मगर उनकी आवाज फ्लैट हो और चेहरे से ऐसा लगे कि क्या ही मांग लिया... तो आप समझ जाते हैं कि अगले का मन नहीं है। उन्होंने शब्द जरूर 'हां' कहा लेकिन बाकी सबकुछ 'ना' कह रहा था। NLP में बातचीत के उस बाकी 93% हिस्सों को समझने की कोशिश होती है जो शब्दों से समझ नहीं आते। NLP प्रैक्टिशनर्स नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन में मास्टर होते हैं। (तस्वीर: Dall-E Image Generator)
NLP रेगुलेटेड नहीं हैं मतलब इसकी पढ़ाई को एकेडमिक मान्यता नहीं मिलती। कोई भी NLP मास्टर प्रैक्टिशनर या NLP मास्टर ट्रेनर बन सकता है। हर ट्रेनर के अपने तरीके हैं। NLP से जुड़े कई ऑनलाइन कोर्सेज उपलब्ध हैं। इनकी फीस 5 हजार रुपये से शुरू होती है। मार्केट में ICF और ABNLP से मान्यता प्राप्त ट्रेनिंग कोर्सेज की डिमांड है।
मेंटलिज्म यानी मनोविश्लेषण में NLP की स्किल्स खूब काम आती हैं। मेंटलिज्म एक परफॉर्मिंग आर्ट है। इसमें माइंड रीडिंग के अलावा ड्रामा और मैजिक ट्रिक्स भी यूज करते हैं। एक ट्रेंड मेंटलिस्ट लोगों के बॉडी मूवमेंट से लेकर शब्दों, बोलने के तरीके से लेकर रिएक्शन को भी नोट करता है। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में ट्रेंड साइकोलॉजिस्ट अक्षय कुमार ने बताया था कि जब आप कुछ सोचते हैं तो उसे विजुअलाइज करते हैं। NLP की ट्रेनिंग उन्हीं विजुअल क्यू को पकड़ना सिखाते हैं। कुछ पूछा और देखा कि सामने वाला क्या कर रहा है और भांप लिया कि हमें क्या कहना है। आंखें भी काफी कुछ जाहिर कर देती हैं। इंसान अनजाने में ही कई ऐसे संकेत देता है जिसे मेंटलिस्ट्स स्पॉट करते हैं। फिर सारी जानकारी के आधार पर जब वे कुछ बताते हैं तो लोग हैरान रह जाते हैं।