एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार अधिकांश एक्सीडेंट शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होते हैं। जिसमें दोपहिया वाहनों की मौत 44% से अधिक होती है। भारत में सड़क दुर्घटनाएं चिंता का कारण हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में 4,03,116 दुर्घटनाएं हुईं। जिसमें 1,55,662 मौते और 3,71,884 लोग घायल हुए। कुल हादसों में ओवरस्पीडिंग 58.7% है, जबकि लापरवाह ड्राइविंग या ओवरटेकिंग में 25.7% शामिल हैं।
मौतों में बढ़ोतरी
देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों (2021) पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट के मामले 2020 में 3,64,796 से बढ़कर 2021 में 4,03,116 हो गए। मौतों में 16.8% बढ़ोतरी हुई है। 2020 में 1,33,201 और 2021 में 1,55,622 ने सड़क हादसे में अपनी जान गवाई है। साथ ही 2021 में प्रति हजार वाहनों की मौत दर 2020 में 0.45 से बढ़कर 2021 में 0.53 हो गई है। विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुई हैं।
खतरनाक या ओवरटेकिंग के कारण 1,03,629 दुर्घटनाएं (कुल 25.7%) हुईं। जिसके परिणामस्वरूप 2021 के दौरान 42,853 मौते हुई और 91,893 घायल हुए। खराब मौसम के कारण हादसें केवल 2.8% (4,03,116 मामलों में से 11,110) के प्रभाव में हुई। 7,235 घाटलों में ड्रग/अल्कोहल का 1.9% हिस्सा है।
नेशनल और राज्य राजमार्गों पर दुर्घटनाएं
राष्ट्रीय राजमार्गों में 30.3% दुर्घटनाएं दर्ज की। राज्य राजमार्गों में 23.9% हादसे हुए हैं। एक्सप्रेसवे पर कुल 1,899 सड़क दुर्घटनाएं हुई । जिसमें 1214 लोग घायल और 1356 मौतें हुई हैं। 2021 में अन्य सड़कों पर दुर्घटनाओं के कारण कुल 62,967 (40.5%) लोगों की मौत हुई। अधिकांश हादसे शाम 6 से रात 9 बजे के बीच हुई, जो 20.2% है।
वाहन और स्थान
2021 में दोपहिया वाहनों में अधिकतम मृत्यु 69,240 मौतें हुई। यह कुल मौतों का 44.5% था। इसके बाद कारों 23,531 मौतें (15.1%) और ट्रक/लॉरी (14,622 मौतें (9.4%) का योगदान था। कुल दुर्घटनाओं में से करीब 59.7% ग्रामीण क्षेत्रों (2,40,747) और 40.3 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में (1,62,369) हुई हैं।