जानकारी के मुताबिक सीबीआई को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिससे यह पता चलता है कि एचसीएल के तत्कालीन सीएमडी कैलाशधर दीवान ने तत्कालीन निदेशक (आॅपरेशन) संतोष शर्मा, तत्कालीन एजीएम विवेक गुप्ता के साथ मिलकर साजिश की। इसके बाद उन्होंने अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए एसटीपीएल चेन्नई को खेतड़ी कॉपर कॉम्प्लेक्स के पायलट प्लांट में टेलिंग्स से धातु निकालने के लिए गलत तरीके से टेंडर दे दिया। जांच में यह भी पता चला कि सोने, चांदी और सिलिका जैसी धातुओं की वांछित मात्रा नहीं मिलने से पायलट प्लांट बंद करना पड़ा।
प्राइमरी इंक्वायरी (पीई) के दौरान यह खुलासा हुआ कि तत्कालीन सीएमडी कैलाश धर दीवान ने कथित तौर पर तत्कालीन निदेशक (आॅपरेशन) संतोष शर्मा, तत्कालीन एजीएम विवेक गुप्ता और विनय कुमार सिंह (तत्कालीन डीजीएम प्रोजेक्ट्स) के साथ मिलकर खेतड़ी में पायलट प्लांट चालू होने से पहले मलंजखंड में एक कमर्शियल (वाणिज्यिक) संयंत्र की स्थापना के लिए साजिश रची थी।
सीबीआई ने एचसीएल के तत्कालीन सीएमडी कैलाश धर दीवान और पूर्व कार्यकारी निदेशक (सामग्री और अनुबंध) दिलीप कुमार महाजन, महाप्रबंधक (परियोजना) विनय कुमार सिंह, तत्कालीन निदेशक (संचालन) और पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा और तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक ( इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग) विवेक गुप्ता सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ साजिश व धोखाधड़ी के साथ-साथ आपराधिक कदाचार से जुड़े भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधान के तहत मामला दर्ज किया है।