नयी दिल्ली
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के
पीड़ितों को अमेरिका की यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) का स्वामित्व
हासिल करने वाली कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने
के लिए वह अपनी उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका को आगे बढ़ाएगा।
न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी की दलीलों पर गौर किया और केंद्र को इस संबंध में आठ सप्ताह के भीतर एक संकलन तैयार करने का निर्देश दिया है।
पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए. एस. ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘सरकार (भोपाल गैस त्रासदी के) पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करे और अटॉर्नी जनरल का कार्यालय एक संकलन तैयार करेगा तथा जहां तक आवदेक संघों का संबंध है तो हम अर्जियां दायर करने की छूट नहीं देते हैं।’’
अब इस विषय पर 10 जनवरी 2023 को सुनवाई की जाएगी।
इससे पहले, उच्चतम नयायालय ने केंद्र को इस पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था कि वह अतिरिक्त निधि की मांग करते हुए उचारात्मक याचिका दायर करना चाहती है, या नहीं।
अब डो केमिकल्स के स्वामित्व वाली यूसीसी ने दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव होने के बाद 1989 में हुए समझौते के वक्त 715 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था। इस त्रासदी में 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी और 1.02 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे।
उच्चतम न्यायालय केंद्र की इस उपचारात्मक याचिका पर सुनवाई करेगा,जिसमें यूनियन कार्बाइड तथा अन्य कंपनियों को 7,844 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
इस त्रासदी से पीड़ित लोग जहरीली गैस रिसाव से हुई बीमारियों के उचित इलाज तथा पर्याप्त मुआवजे के लिए लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
केंद्र ने अतिरिक्त मुआवजे के लिए दिसंबर 2010 में उच्चतम न्यायालय में उपचारात्मक याचिका दायर की थी। भोपाल की एक अदालत ने सात जून 2010 को यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के सात अधिकारियों को दो साल की सजा सुनायी थी।
तत्कालीन यूसीसी चेयरमैन वॉरेन एंडरसन इस मामले में मुख्य आरोपी था लेकिन वह अदालत में पेश नहीं हुआ।
भोपाल में, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एक फरवरी 1992 को एंडरसन भगोड़ा घोषित कर दिया था। भोपाल की अदालतों ने 1992 और 2009 में दो बार एंडरसन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए थे। एंडरसन की सितंबर 2014 में मौत हो गयी।