एम्सटर्डम : एक बच्ची के अवशेष लगभग 100 साल से विशेषज्ञों के लिए पहेली बने हुए हैं। वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर उसकी मौत कैसे हुई थी। मई 1897 में नीदरलैंड के येड में दलदल में काम करने वाले दो मजदूरों को एक लड़की का बेहद अच्छी तरह संरक्षित शरीर मिला था। हालांकि उसका शरीर सिकुड़ गया था और ममी में तब्दील हो गया था लेकिन उसके लाल बाल बेहद अच्छी हालत में थे। इस बात को 100 साल से भी अधिक समय बीत चुका है लेकिन वैज्ञानिक इस बच्ची की पहेली को सुलझा नहीं पाए हैं।
विशेषज्ञ अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उस लड़की का ऐसा भयानक अंत कैसे हुआ। अनुमान है कि उसकी मौत 54 ईसा पूर्व से 128 ईस्वी के बीच हुई थी और सभवतः तब उसकी उम्र 16 साल के आसपास थी। लड़की की गर्दन पर रस्सी का फंदा बंधा हुआ था और ऐसा लग रहा था कि उसकी गर्दन पर चाकू से हमला किया गया है। उसके आधे बाल भी कटे हुए थे और दांत गायब थे।
कैसे हुई लड़की की मौत?
वैगनिंगेन यूनिवर्सिटी के डॉ रॉय वैन बीक ने कहा, 'दो थ्योरी बताई गई हैं। पहला, इसमें वे लोग शामिल हैं जो परंपराओं का पालन नहीं करते थे। दलदल में पाए जाने वाले शव वे लोग थे जो अपराधी थे या व्यभिचार के दोषी पाए गए थे। दूसरी, यह एक उच्च शक्ति को बलिदान करने के बारे में भी हो सकता है।' शोध से पता चला है कि वह स्कोलियोसिस के गंभीर मामले से पीड़ित थी और उसकी लंबाई लगभग साढ़े चार फीट थी।
टैनिक एसिड से बरकरार रही त्वचा
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वह बेहोशी की हालत में मर गई होगी क्योंकि शरीर के साथ मिले हाथों पर बचाव के निशान या घाव नहीं थे। दलदली पानी में टैनिक एसिड के कारण लड़की त्वचा और बाकी चीजें इतनी अच्छी तरह से संरक्षित थीं। खोज के बाद लड़की के अवशेषों को प्रदर्शनी के लिए रखा गया था और 1992 तक इन पर आगे अध्ययन नहीं किया गया।