रायपुर
रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू ने देश के प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी को दंड प्रक्रिया संहिता धारा 411 में संशोधन करने की मांग की
है। धारा 411 के अंतर्गत सराफा कारोबारियों को जेवर खरीदी में काफी
परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं क्योंकि अगर खरीदी के दौरान अगर हल्की
सी भी चूक अगर हो जाती है तो सराफा कारोबारियों को इसका खामियाजा भुगतना
पड़ रहा है।
श्री मालू ने पीएम को लिखे पत्र के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि धारा 411 में यह प्रावधान है कि जो कोई भी चुराई गई संपत्ति को यह जानते हुए भी वह चोरी की संपत्ति है, बेइमानी से प्राप्त करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन वर्ष बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड, दोनों किया जा सकता है। लेकिन यदि क्रेता द्वारा जानकारी के अभाव में कोई वस्तु खरीदी जाती है। विधिक प्रावधानों के अनुरूप दस्तावेजों का संग्रह करने के उपरांत उक्त वस्तु का उचित कीमत अदा की जाती है तो ऐसी स्थिति में क्रेता भारतीय दंडनीय संहिता की धारा 411 के प्रावधानों के अंतर्गत अपराधी की श्रेणी में नहीं आएगा। मालू ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक मामले की सुनवाई के दौरान दिए फैसले का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया कि ऐसे मामले में अभियुक्त को तभी दोषी ठहराया जाना चाहिए जब अभियोजन यह साबित कर दे कि आरोपी को मालूम था कि वह चोरी का सामान खरीद रहा है। रायपुर लोकसभा के सांसद सुनील सोनी को भी पीएम के नाम पत्र लिखकर इसमें संशोधन की मांग किया गया था और इसके लिए सांसद सोनी प्रयासरत भी है।
श्री मालू ने बताया प्रधानमंत्री से मांग की है कि धारा 411 में युक्तिसंगत संशोधन करते हुए उसमें परंतु शब्द जोड़ा जाए अर्थात सराफा व्यवसाय करते हुए जो सोना एवं चांदी व्यवसायियों द्वारा खरीदा जाता है और इसके लिए बेचने वाले से यदि व्यवसायी द्वारा पर्याप्त दस्तावेज लेकर ग्राहक से सोना – चांदी की खरीदी उचित मूल्य देकर किया जाता है तो पुलिस विभाग द्वारा व्यवसायी पर अनुचित कार्रवाई नहीं किया जाए। हरख ने पीएम मांग करते हुए कहा कि धारा 411 में संशोधन किया जाए कि यदि सराफा कारोबारी सोने और चांदी की उचित कीमत एवं पर्याप्त वैधानिक दस्तावेज ग्राहक से लेकर इसकी खरीदी करता है तो वह धारा 411 की कार्यवाही के अंतर्गत नहीं आएगा। जेवर खरीदी के दौरान सराफा कारोबारियों को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा रहा है, इसलिए उपरोक्त संशोधन कर इस धारा की सही व्याख्या की जानकारी देकर सराफा कारोबारिया पर होने वाले अव्यवहारिक निर्णयों से राहत दिलाने की कृपा करें।