अमेरिका बोला- भारत में सभी धर्मों को आजादी:वहां मानवाधिकारों का सम्मान, चीन और पाकिस्तान में हालात इसके उलट

Updated on 08-12-2022 06:21 PM

अमेरिका ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की तारीफ करते हुए कहा है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और तमाम धर्मों का घर है। दरअसल, अमेरिका से पूछा गया था कि ‘विशेष चिंताओं वाले देशों’ की सूची में भारत को क्यों नहीं डाला गया है। इसका जवाब देते हुए अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत तमाम धर्मों का घर है और भारत को विशेष चिंताओं वाले देशों या स्पेशल वॉच लिस्ट में नहीं डाला जा सकता। बाइडेन प्रशासन सभी लोगों की धार्मिक आजादी की सुरक्षा करने की भारत की प्रतिबद्धिता को प्रोत्साहित करता रहेगा।

नेड प्राइस ने कहा कि भारत और अमेरिका दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देश हैं। हमने पहले भी साथ मिलकर काम किया है। हम आगे भी साथ काम करके दिखा सकते हैं कि हमारा लोकतंत्र लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकता है। हमें धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मानवाधिकारों का सम्मान करते रहना होगा इससे हमारा लोकतंत्र और ज्यादा मजबूत होगा।

लिस्ट में भारत का नाम डालने का था दबाव

उन्होंने आगे बताया कि अतंरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर हमारी वार्षिक रिपोर्ट में भारत से जुड़ी कुछ चिंताओं को शामिल किया गया है। हम भारत समेत विश्व के सभी देशों में धार्मिक आजादी की निगरानी करते रहेंगे। बता दें कि विशेष चिंताओं वाले देशों की सूची जारी करने से पहले इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कांउसिल जैसी संस्थाओं ने लिस्ट में भारत का नाम डालने के लिए काफी दबाव डाला था।

अमेरिका के चीन, पाकिस्तान को किया था लिस्ट में शामिल

अमेरिका ने कुछ दिन पहले ‘विशेष चिंताओं वाले देशों’ की लिस्ट जारी की थी। इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एक्ट, 1998 के तहत जारी की गई इस लिस्ट में ऐसे देशों को शामिल किया गया था जहां धार्मिक आजादी का गंभीर उल्लंघन होता है। इस लिस्ट में चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, म्यांमार, सउदी अरब, नॉर्थ कोरिया, क्यूबा और तजाकिस्तान जैसे देशों के नाम शामिल थे। स्पेशल वॉच लिस्ट में अलजेरिया, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक और वियतनाम को रखा गया है। इनके अलावा तालिबान, बोको हरम, आईएसआईएस, हूथी जैसे कई संगठनों को विशेष चिंताओं वाले संगठनों की लिस्ट में डाला था। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने लिस्ट जारी करते हुए कहा था कि कई देश और संगठन लोगों को उनके धार्मिक विश्वास के आधार पर डराते-धमकाते हैं, शोषण करते हैं और कई को तो मार डालते हैं।


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