वॉशिंगटन: आज के समय युद्ध हथियारों से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिए लड़ा जाता है। चीन ने अब अमेरिका पर भी टेक्नोलॉजी के जरिए हमला बोला है। चीनी हैकरों ने चीन में मौजूद अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स के ईमेल में सेंध लगाई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है, जिसके बाद आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका के हजारों प्रमुख लोगों के ईमेल भी सुरक्षित नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने की शुरुआत में माइक्रोसॉफ्ट की ओर से खुलासा किया गया था कि पूर्वी एशिया के सहायक सचिव डैनियल क्रिटेनब्रिंक का अकाउंट भी हैक हुआ था।
कथित तौर पर दो वरिष्ठ राजनयिकों के अकाउंट को हैक किए जाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश विभाग ने किसी तरह की जानकारी देने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि इसकी जांच की जा रही है। WSJ की रिपोर्ट से पहले क्रिटेनब्रिंक से अमेरिकी चीन पॉलिसी पर कांग्रेस की सुनवाई में पूछा गया था कि क्या वह इस बात से इनकार कर सकते हैं कि उनके या उनके कर्मचारियों के ईमेल को माइक्रोसॉफ्ट हैट में टार्गेट किया गया था। तब उन्होंने कहा था कि मैं इस मामले में कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकता। इस मामले की एफबीआई जांच कर रही है। हालांकि मैं इनकार नहीं कर रहा।
क्या बोला चीन
बर्न्स और क्रिटेनब्रिंक के अलावा अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो के साथ जासूसी होने की बात सामने आई है। अमेरिका ने चीन के वरिष्ठ राजनयिकों को इस बारे में चेतावनी दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में चीन के दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने ईमेल के जवाब में कहा, 'चीन हर तरह के साइबर हमलों और चोरी का विरोध करता है और उनका मुकाबला करता है। हमारी इस मामले पर स्थिति साफ है।' उन्होंने आगे कहा, 'साइब हमलों के सोर्स की पहचान करना एक जटिल तकनीकी मुद्दा है। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष निराधार अटकलें लगाने की जगह प्रोफेशनल तरीका अपनाए।'
हैकरों ने सुरक्षा में लगाई सेंध
इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले सप्ताह कहा था कि चीनी हैकरों ने उसकी एक डिजिटल कुंजी का दुरुपयोग किया और अमेरिकी सरकारी एजेंसियों और अन्य ग्राहकों के ईमेल में कोड में खामी के जरिए सेंध लगाई। इस घटना ने माइक्रोसॉफ्ट की सिक्योरिटी को सवालों के घेरे में खड़ा दिया। माइक्रोसॉफ्ट ने गुरुवार की देर रात एक बयान में कहा कि वह आलोचना को गंभीरता से ले रहा है।