असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 8 मजदूर पिछले 72 घंटे से फंसे हैं। एक मजदूर का शव बुधवार को निकाला गया था। रेस्क्यू में अब एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर भी जुट गए हैं।
NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स भी मौजूद हैं।
NDRF इंस्पेक्टर रोशन कुमार चंद ने बताया, वर्टिकल एरिया सर्च कर लिया गया है। लगातार पंपिंग के बाद भी पानी का लेबल घट नहीं रहा है। महाराष्ट्र से नई हैवी पंपिग मशीन मंगवाई गई है।
इससे पहले बुधवार को नेवी के ROV (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल) को सुरंग के अंदर भेजा गया था। ROV फोटो खींचने में सक्षम और सोनार तरंगों से लैस है। हालांकि, इसमें कुछ नहीं दिखाई दिया।
हादसा 6 जनवरी को हुआ था, जब मजदूर खदान में कोयला निकाल रहे थे। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए सेना को लगाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है। पुलिस ने खदान मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है।
TMC सांसद बोलीं- इलीगल माइनिंग से भाजपा का हो रहा लाभ
राजसभा सांसद सुष्मिता देव ने असम सरकार पर कई सवाल खड़े किए। सुष्मिता देव ने कहा, आज वह दीमा हसाओ का दौरा किया। इस क्षेत्र में गैर - कानूनी तरीके से खनन कैसे जारी है? असम सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई करेगी कि भविष्य में लोगों का जीवन इस तरह से खतरे में न पड़े? खदान का मालिक कौन है, यह कई सवाल खड़े करता है।
माइनिंग की समस्या का समाधान असम सरकार आज तक नहीं कर पाई है। उनका मानना है कि समाधान नहीं निकलने की वजह से अवैध तरीके से खनन जारी है। इलीगल तरीके कोयला बाहर भेजे जा रहे। एक सिंडिकेट की तरह असम में चल रहा है।
2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स
ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था।
रैट होल माइनिंग क्या है?
रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है।
रैट होल माइनिंग नाम की प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है।
रैट माइनिंग पर 2014 में NGT ने लगाया था बैन
रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था। एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है।