नई दिल्ली
नकली दवाओं पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही बड़ा कदम उठा सकती
है. 2019 में अमेरिका ने भारत को नकली दवाओं की बढ़ती समस्या के बारे में
चेताया था. इसमें दावा किया गया था कि भारतीय बाजार में बिकने वाले सभी
फार्मास्युटिकल सामान का लगभग 20 प्रतिशत नकली है. इसी को लेकर अब जल्द ही
दवा निर्माताओं से दवाओं के पैकेट पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट कर
चिपकाने के लिए कहा जा सकता है.
यह कदम भारत में बेचे जा रहे नकली उत्पादों या नकली दवाओं की चुनौती को खत्म कर देगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पहले के अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में बिकने वाली करीब 35 फीसदी नकली दवाएं भारत से आती हैं. इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने न्यूज 18 को बताया, ‘सभी तैयारियां कर ली गई हैं और अगले कुछ हफ्तों में इसे लागू कर दिया जाएगा, चूंकि यह कदम अनिवार्य होगा. हम चर्चा कर रहे हैं कि क्या चुनिंदा दवाएं पहले चरण में बारकोडिंग से गुजर सकती हैं और बाद में पूरे फार्मा उद्योग में. इसलिए, सबसे ज्यादा बिकने वाले 300 ब्रांड्स की सूची जारी की जाएगी जो पहले दौर में पहले क्यूआर या बारकोड मैंडेट को अपनाएंगे.’
ये हैं प्रमुख दवाएं जो सबसे ज्यादा बिकती हैं भारत के बाजार में
इन ब्रांड्स में भारतीय फार्मा बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली लोकप्रिय
दवाएं जैसे एलेग्रा, डोलो, ऑगमेंटिन, सेरिडोन, कैलपोल और थायरोनॉर्म शामिल
हैं. सूत्र ने कहा, ‘एक बार जब पहला चरण सुचारू रूप से चला जाता है तो हम
सभी उच्च मात्रा वाली दवाइयों के लिए जाएंगे. सरकार एक केंद्रीय डेटाबेस
एजेंसी की स्थापना की तलाश कर रही है. जहां भारत में पूरे उद्योग के लिए एक
बार कोड प्रदाता हो सकता है.’