बीजिंग: पूरी दुनिया इस समय चांद पर जाना चाहती है। अमेरिका ने आज से 50 साल पहले इंसान को चांद पर भेजा था। भारत चंद्रयान-3 मिशन के जरिए अपना रोवर चांद पर भेजना चाहता है। वहीं चीन चांद पर इंसानों को भेजने वाला दूसरा देश बनना चाहता है। चीनी अधिकारियों नें अपने मानवयुक्त चंद्रमा मिशन से जुड़ी खोज के विवरणों का खुलासा किया है। शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी (CMSA) के उप मुख्य इंजीनियर झांग हैलियन ने बुधवार को वुहान में एक एयरोस्पेस शिखर सम्मेलन में प्लान का खुलासा किया।
हैलियन के मुताबिक यह मिशन 2030 से पहले होने की उम्मीद है। यह चांद पर एक रिसर्च स्टेशन स्थापित करने की परियोजना का हिस्सा है। झांग ने कहा कि चांद पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री रिसर्च स्टेशन के निर्माण करने के बेहतरीन तरीकों का पता लगाएंगे। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक दो लॉन्च वाहन लैंडर और मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में भेजा जाएगा और वे एक दूसरे से जुड़ेंगे। डॉकिंग के बाद अंतरिक्ष यान में सवार चीनी अंतरिक्ष यात्री लैंडर में प्रवेश करेंगे जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
ऐसे होगी धरती पर वापसी
रिपोर्ट के मुताबिक चांद पर रहते हुए वे नमूने इकट्ठा करेंगे और कई वैज्ञानिक जांच करेंगे। यहां से बाद में वह फिर लैंडर में जाएंगे जो उड़ान भर कर फिर से अंतरिक्ष यान के साथ जुड़ेगा और उन्हें वापस पृथ्वी पर लाएगा। चीनी वैज्ञानिक इस समय मिशन से जुड़ी तैयारी कर रहे हैं। वह मूनसूट, मानवयुक्त चंद्र रोवर, मानवयुक्त अंतरिक्ष यान और मून लैंडर समेत सभी उपकरणों को विकसित करने में व्यस्त हैं। हालांकि सरकारी मीडिया ने यह नहीं बताया कि कितने अंतरिक्ष यात्री चांद पर जाएंगे।
2013 में उतारा पहला रोवर
चीन अपने स्पेस प्रोग्राम को तेजी से बढ़ाने में लगा है और चंद्र मिशन इसमें सबसे लेटेस्ट है। चीन स्पेस रेस में देर से आया है, लेकिन इसने तेजी से रफ्तार पकड़ी है। 1970 तक चीन ने अपना एक भी सैटेलाइट लॉन्च नहीं किया था और तब अमेरिका अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेज चुका था। चीन ने 2013 में सफलतापूर्वक चंद्रमा पर एक रोवर उतारा। ऐसा करने वाला वह केवल तीसरा देश बन गया। तब शी जिनपिंग ने कहा कि अंतरिक्ष का सपना चीन को मजबूत बनाने का हिस्सा है।