भीमा कोरेगांव हिंसा केस:रिपोर्ट में दावा- स्टेन स्वामी को फंसाने के लिए कंप्यूटर में प्लांट किए गए थे सबूत

Updated on 14-12-2022 05:59 PM

भीमा कोरेगांव हिंसा केस में अमिरिकी फोरेंसिक फर्म ने मंगलवार को नया खुलासा किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मामले में एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी को फंसाने के लिए उनके कंप्यूटर में डिजिटल सबूत (आपत्तिजनक डॉक्यूमेंट) डाले गए थे।

स्टेन स्वामी के वकीलों की हायर फोरेंसिक टीम आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि कंप्यूटर के डिजिटल फुटप्रिंट्स को पहले स्पाईवेयर से हैक किया गया था। इसके बाद उसमें लगभग 50 फाइलों को हैकर ने कंप्यूटर में प्लांट किया। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि कंप्यूटर ड्राइव में डाक्यूमेंट्स को उस तरीके से प्लांट किया गया जिससे यह साबित हो कि स्वामी और माओवादी विद्रोह के बीच संबंध थे।

भीमा कोरेगांव हिंसा केस में नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) ने 2020 में स्टेन स्वामी आरोप लगाए थे कि स्टेन के नक्सलियों से लिंक हैं और खासतौर पर वे प्रतिबंधित माओवादी संगठन के संपर्क में हैं। वे अक्टूबर 2020 से मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे और लगातार उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी। उन्हें 8 अक्टूबर को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल ही बिमारी के चलते उनका निधन हो गया था।

20 जुलाई 2017 से 2019 के बीच प्लांट किए डाक्यूमेंट
रिपोर्ट में बताया गया कि हमलावर के काम करने के तरीकों के नए सुराग मिले हैं। आर्सनल के पास 11 जून, 2019 की हमलावर की गतिविधियों की कई जानकारी है। पुणे पुलिस के कंप्यूटर जब्त करने के एक दिन पहले हमलावर ने की गई चालाकी की सफाई करने की कोशिश की थी। उसने इसके लिए नेटवायर का इस्तेमाल किया था, जिसे आर्सेनल ने पकड़ा। नेटवायर उस मालवेयर का नाम है जिसे हैकर्स ने कथित तौर पर स्वामी के कंप्यूटर को ब्रेक करने के लिए इस्तेमाल किया था।

साथ ही दावा किया कि स्वामी को पहली बार 20 जुलाई 2017 को हैक किया गया था। तब से लेकर 5 जून 2019 के बीच दो कैम्पेन में उनके कंप्यूटर पर डॉक्यूमेंट पहुंचाए गए थे।

तबीयत खराब होने के कारण जमानत की अपील की थी
स्टेन स्वामी को आरोपित साबित करने के बाद तलोजा जेल भेजे दिया गया था। वे लगातार गिरती सेहत का हवाला देकर जमानत की अपील कर रहे थे। उनके वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। जहां उनकी हालत बिगड़ती गई।

हाईकोर्ट से स्टेन ने कहा था- जेल में स्वास्थ्य सुविधाएं खराब
स्टेन को मुंबई की तलोजा जेल भेजा गया था। यहां उन्होंने खराब स्वास्थ्य सुविधाओं की शिकायत की थी। तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद 28 मई को मुंबई हाईकोर्ट उन्हें अस्पताल भेजने का आदेश दिया था। होली फैमिली अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था। शनिवार को स्टेन के वकील ने हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है।

इससे पहले मई में स्टेन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अदालत से कहा था कि जेल में उनकी सेहत लगातार गिरती जा रही है। उन्होंने अंतरिम बेल की अपील करते हुए कहा था कि यही स्थिति लगातार जारी रही तो जल्द मेरी मौत हो जाएगी। स्टेन के अलावा उनके उनके दूसरे साथियों ने भी कहा था कि जेल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि जेल अधिकारी लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं, टेस्ट, सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

NIA ने किया था स्टेन की जमानत का विरोध
उस समय NIA ने स्टेन स्वामी को जमानत दिए जाने का विरोध किया था। जांच एजेंसी ने कहा था कि उनकी तबीयत खराब होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। वो एक माओवादी हैं और उन्होंने देश में अस्थिरता लाने के लिए साजिश रची है। 31 दिसंबर 2017 को पुणे के नजदीक भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। NIA ने कहा था कि इस हिंसा से पहले एलगार परिषद की सभा हुई थी। इस दौरान स्टेन ने भड़काऊ भाषण दिया था। इसी से हिंसा भड़की।

पार्किंसन बीमारी से जूझ रहे थे स्टेन स्वामी
स्‍वामी की तबीयत जब बहुत ज्‍यादा बिगड़ गई तो हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। स्‍टेन स्‍वामी सुनने की क्षमता पूरी तरह खो चुके थे। वह लाइलाज पार्किंसन बीमारी से भी जूझ रहे थे। उन्‍हें स्‍पांडलाइटिस की समस्‍या थी। पिछले साल मई में वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।

5 दशक तक आदिवासियों के लिए काम किया
आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्टेन ने करीब 5 दशक तक झारखंड में काम किया था। उन्होंने विस्थापन, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों को लेकर संघर्ष किया। उन्होंने दावा किया था कि नक्सलियों के नाम पर 3000 लोगों को जेल भेजा गया। इनका केस अभी पेंडिंग है। स्टेन इनके लिए हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे थे।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला?
महाराष्ट्र के पुणे में भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसा के सिलसिले में कई वामपंथी कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया है। भीमा कोरेगांव में अंग्रेज़ों की महार रेजीमेंट और पेशवा की सेना के बीच हुई लड़ाई में महार रेजीमेंट की जीत हुई थी। दलित बहुल सेना की जीत की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर हिंसा की यह घटना हुई थी।


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