अगस्त में चीतों के बाड़े के नजदीक तेंदुए का शिकार हुआ है। आठ दिन पहले पार्क से ट्रैप कैमरे चोरी हो गए। जिसकी एफआइआर कराई गई है। ऐसे में पार्क में मैदानी कर्मचारियों का टोटा सुरक्षा प्रबंधन पर बड़ा सवाल है। चीता परियोजना देश-विदेश में चर्चा का विषय है। इस स्थिति में छोटी सी चूक मध्य प्रदेश का शर्मशार कर सकती है।
वनमंडल और उप वनमंडल अधिकारी सहित पार्क में 226 का पद स्वीकृत है। इसमें से 161 अधिकारी-कर्मचारी अभी कार्यरत हैं। जबकि 65 पद खाली हैं। इनमें डिप्टी रेंजर, वनपाल और वनरक्षक शामिल हैं। यही कर्मचारी मैदानी स्तर पर सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं।
पार्क में पर्याप्त कर्मचारी न होने के कारण आए दिन घटनाएं हो रही हैं, जो इस बात का भी द्योतक है कि पार्क में असामाजिक तत्वों की आवाजाही है। चीता की तैयारियों में लगे रहे जिम्मेदार अधिकारियों को अब तक यह समझ नहीं आया है कि चीता आने से पहले पार्क की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद करनी भी जरूरी है। वैसे 20 भूतपूर्व सैनिकों को सुरक्षा का जिम्मा सौंपा है पर वे सिर्फ पार्क की सीमा पर निगरानी कर रहे हैं।