अगर आप शादी करने जा रहे हैं तो मेहंदी के लिए कानपुर के अनिल माथुर को ही बुलाइएगा। यह बात सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) में कही। वह कानपुर के सहायक शिक्षक अनिल माथुर की शिक्षा से अधिक मेहंदी कला से प्रभावित हुए।
मां के लिए सीखी मेहंदी
अमिताभ ने केबीसी की हॉट सीट पर बैठे अनिल से मेहंदी के बारे में पूछा। कहा, क्या शादी-विवाह में भी मेहंदी लगाने जाते हैं। तब अनिल ने जवाब दिया कि मेहंदी लगाना मां के लिए सीखा था। त्योहार में जब हर महिलाएं मेहंदी लगाती थीं तो मेरी मां को नहीं लगाना आता था और वह उदास रहती थीं। केबीसी में 10वें सवाल तक अनिल पहुंचे लेकिन गलत जवाब देने के कारण सिर्फ 10 हजार रुपये ही जीत सके।
तीन साल से कर रहे थे ट्राई
जरौली फेस-2 में रहने वाले अनिल माथुर भीतरगांव ब्लॉक में सहायक अध्यापक हैं। अनिल के पिता रामदीन माथुर मजदूर थे तो मां सुशीला देवी गृहिणी हैं। पहले आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। अनिल ने बताया कि वर्ष 2014 से केबीसी नियमित रूप से देख रहा हूं। पिछले तीन वर्षों से केबीसी में जाने का प्रयास कर रहा था, इस बार सफलता मिली। सात अगस्त को मुंबई गया था। जहां केबीसी के क्वालीफायर राउंड में अकेले तीनों सवाल का सही जवाब देकर हॉट सीट तक पहुंचा। तीसरा सवाल पूछा गया था कि सल्तनत काल में किस वंश ने शासन नहीं किया है। इसका सही जवाब था मुगल सल्तनत।
10वें सवाल का दिया गलत जवाब
अनिल ने बताया कि 10वें सवाल तक पहुंचा था। सवाल था कि ऐसा कौन व्यक्ति है, जो साहित्य अकादमी पुरस्कार लेने गए थे, इस चक्कर में आस्कर पुरस्कार लेने नहीं गए थे। इसका सही जवाब सत्यजीत रे था लेकिन एआर रहमान बताकर 3.20 लाख रुपये से सीधे 10 हजार रुपये पर आ पहुंचा।
अमिताभ के लिए ठग्गू का लड्डू लेकर पहुंचे थे
अनिल केबीसी में ठग्गू का लड्डू लेकर पहुंचे थे, जिसे देख अमिताभ काफी खुश हुए। अनिल ने बंटी और बबली फिल्म की शूटिंग के दौरान का किस्सा भी सुनाया कि वह शूटिंग देखने गए थे।
बिग बी ने बताया, मां ने कहा था कि घर में एक कवि काफी है...
अनिल माथुर ने बताया कि गेम के बीच में अमिताभ बच्चन ने खुद बताया कि वे कवि क्यों नहीं बने। बिग बी ने कहा कि मैं कविता नहीं लिखता। मेरे घर में मेरे पिता कवि थे। जब मैं बड़ा हो रहा था और काम करने लगा, तब मेरी मां ने मुझसे कवि न बनने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि घर में एक कवि काफी है। इसके बाद उन्होंने भी कभी कवि बनने के बारे में नहीं सोचा।