केवल केंचुआ पालने से भी लोगों के सपने सच हो सकते हैं, इस पर विश्वास करना
कठिन है, लेकिन केवल 6 महीनों के भीतर अकलवारा गांव की स्व सहायता समूह की
महिलाओं ने यह सच कर दिखाया है। समूह की महिलाओं ने 2 लाख 88 हजार रुपये
की कमाई केंचुआ बेचकर की है। खास बात है कि सभी महिलाओं ने अपनी आय को
बच्चों को पढ़ाने में व्यय किया। दुर्गा शक्ति समूह की सदस्य श्रीमती सुनीता
निषाद की बिटिया प्रियंका का बीसीए पढ?े का सपना सच हुआ है। कोरोना काल
में केंचुआ का उत्पादन होता रहा और इसकी बिक्री होती रही। इससे समूह के तीन
सदस्यों ने अपने बच्चों के लिए मोबाइल खरीद लिया ताकि उनके बच्चे आॅनलाइन
पढ़ाई जारी रख सकें। एक दीदी के घर में शादी की वजह से कर्ज हो गया था। एक
दीदी ने अपने बेटे के लिए बाइक खरीदने में मदद की।
सुनीता ने बताया कि समूह ने 18 क्विंटल केंचुए का उत्पादन किया है और इसकी
बिक्री 5 ब्लॉक में की है इससे समूह को 2 लाख 88 हजार रुपये की आय हुई है।
इसके अलावा गोबर के माध्यम से ही 1 लाख 29 हजार रुपये का वर्मी खाद से आय
अर्जित की है। साथ ही यह महिलाएं 24 हजार रुपये का फिनाइल बेच चुकी हैं।
सुनीता ने बताया कि साथ ही अन्य गतिविधियों के लिए भी उनके पास पर्याप्त
समय है जैसे कोरोना काल में उन्होंने आपदा को भी अवसर के रूप में बदल
दिया। उन्होंने बताया कि गौठान नहीं होता, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की
योजनाएं नहीं होती तो उनके बड़े-बड़े सपने सच नहीं होते। सफलता मिलती है तो
आगे की उम्मीद भी बढ़ जाती है। वे आगे की योजना बना रही हैं। उन्होंने सोचा
है अब मसाला और पिराई का काम शुरू करेंगी।