ईडी का आरोप पत्र 26 सितंबर को सहायक निदेशक पवन कुमार की ओर से विशेष पीएमएलए कोर्ट मुंबई के समक्ष दायर किया गया था। धन शोधन की रोकथाम के तहत निर्धारित सभी आरोपियों की अनंतिम रूप से संलग्न संपत्तियों को जब्त करने के लिए कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है, क्योंकि वे अपराध की आय से खरीदे गए थे।
जिन 16 के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें 'फख्त मराठी' चैनल और उनकी कंपनी लोटस एंटरप्राइजेज के मालिक शिरीष वी पट्टनशेट्टी और मनीष आर संघ, 'बॉक्स सिनेमा' चैनल के मालिक नारायण एन शर्मा और उनकी कंपनी बॉक्स सिनेमीडिया प्राइवेट लिमिटेड, 'महामूवी' चैनल के मालिक विश्वजीत ओ शर्मा और दर्शन बी सिंह शामिल है।
इनके अलावा, सांच मीडिया के बोमपल्ली राव मिस्त्री, उमेश सी. मिश्रा, विशाल वी. भंडारी, दिनेश पी. विश्वकर्मा, विकास वी. बुरुंगले, अश्विन सी. मोतीवाले, महेश एस. बोम्पल्ली और राजेश के. विश्वकर्मा का भी नाम चार्जशीट में शामिल है।
ईडी ने विशेष अदालत से सभी आरोपी व्यक्तियों (गिरफ्तारी के लिए) के खिलाफ संज्ञान लेने और प्रक्रिया जारी करने, उनकी चल और अचल संपत्ति को जब्त करने, उनके पासपोर्ट जब्त करने आदि की कार्रवाई का आदेश देने के लिए आग्रह किया है।
गोस्वामी और उनके समाचार चैनलों को 'क्लीन चिट' देते हुए, ईडी ने पीएमएलए के तहत अपनी जांच को मुंबई पुलिस द्वारा शुरू में की गई जांच से अलग करार दिया।
ईडी ने कहा कि मुंबई पुलिस जिसने पहली बार 2020 में घोटाले का पदार्फाश किया था, वह एक्विजरी रिस्क कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड की एक फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट पर आधारित थी, जिसमें बताया गया था कि टीआरपी गणना पद्धति के साथ कैसे छेड़छाड़ की गई।
मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी, इंडिया टुडे और अन्य चैनलों को कथित तौर पर टीआरपी घोटाले में शामिल बताया था। जिसने देश के मीडिया उद्योग को हिलाकर रख दिया था। इस मामले को लेकर बड़े पैमाने पर राजनीतिक हंगामा हुआ था।
ईडी की चार्जशीट में रिपब्लिक टीवी, आर. भारत चैनल, इसके एडिटर-इन-चीफ अर्नव गोस्वामी या उनकी कंपनी एआरजी आउटलेयर मीडिया या बीएआरसी के किसी अधिकारी का उल्लेख नहीं है।
ईडी की जांच में मुंबई और महाराष्ट्र के अलावा, केरल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, असम, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी टीआरपी घोटाले का पता चला है। जांच के लिए संबंधित राज्य पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसे अब ट्रांसफर कर दिया गया है और दिल्ली की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) टीम द्वारा जांच की जा रही है।
ईडी ने कहा, एकत्र किए गए सबूतों से आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला साबित होता है। उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है और दंडित किया गया। मनी-लॉन्ड्रिंग में शामिल अनंतिम रूप से संलग्न संपत्तियों को पीएमएलए के अनुसार जब्त किया जा सकता है।