मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि लम्पी वायरस रोकने कोविड नियंत्रण की तरह प्रयास किए जाएं। जागरूकता निर्माण के लिए ग्राम सभाओं का आयोजन हो। राज्य सरकार द्वारा मवेशियों को नि:शुल्क टीका लगाने की व्यवस्था की गई है। जन-जागरूकता के लिए संचार माध्यमों का उपयोग किया जाए। अधिक से अधिक टीकाकरण कर रोग को फैलने से रोकने का कार्य हो।
मुख्यमंत्री चौहान आज मंत्रालय में प्रदेश में लम्पी रोग नियंत्रण के लिये किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री चौहान ने विशेष बैठक बुला कर लम्पी रोग के नियंत्रण के प्रयासों की जानकारी प्राप्त की और निर्देश दिए। पशुपालन, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री प्रेम सिंह पटेल, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव पशुपालन जे.एस. कंसोटिया और विभागीय अधिकारी मौजूद थे। प्रदेश में ढाई लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया गया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा जिस तरह मिल कर सभी कोविड से लड़े थे, वैसा ही जागरूकता का वातावरण गाँव-गाँव में बनना चाहिए। मवेशियों को इस संक्रामक रोग से बचाने के लिए ग्राम सभाओं में चर्चा हो। रोग से बचाव के उपाय बताए जाएँ और प्रत्येक स्तर पर आवश्यक सतर्कता बरती जाए। कम संख्या में रोग से पशुओं की मृत्यु को हल्के में न लें और रोग की जानकारी न छिपाएँ। सभी आवश्यक उपायों को संयुक्त प्रयासों से अमल में लाया जाए।
नियंत्रण कक्ष के साथ टोल फ्री नम्बर
मुख्यमंत्री चौहान ने गौशालाओं और अन्य स्थान पर रहने वाले पशुओं की रोग से रक्षा के लिए अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर भोपाल में राज्य स्तरीय रोग नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री चौहान ने लम्पी वायरस के नियंत्रण के संबंध में पहले दो बैठकें लेकर निर्देश दिए थे। भोपाल में स्थापित नियंत्रण कक्ष का दूरभाष क्रमांक- 0755-2767583 तथा टोल फ्री नंबर 1962 है। इन नम्बरों पर चर्चा कर पशु पालकों द्वारा आवश्यक जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि लम्पी वायरस के नियंत्रण के लिए संचार माध्यमों का उपयोग करें। विभागीय अमले को सेंसटाइज करें। रोग नियंत्रण के प्रयासों की प्रतिदिन रिपोर्ट दें। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पशुओं के टीकाकरण पर जोर रहना चाहिए। केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुसार कार्य किया जाए।
प्रदेश में लम्पी वायरस की स्थिति
पशुपालन विभाग द्वारा प्रदेश में लम्पी रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए अलर्ट जारी कर विशेष सतर्कता रखी जा रही है। संक्रमित क्षेत्रों तथा जिलों में पशुओं का सघन टीकाकरण तथा चिकित्सा कार्य किया जा रहा है। पशुओं में लम्पी स्किन रोग के लक्षण दिखाई देने पर निकटतम पशु औषधालय और पशु चिकित्सालय में संपर्क स्थापित करने को कहा गया है। बताया गया कि प्रदेश के जिलों में वायरस से 7686 पशु प्रभावित हुए, जिसमें 5432 पशु ठीक हुए हैं। अभी तक 101 पशुओं की मृत्यु हुई है। प्रदेश के सात जिलों रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, बैतूल, इन्दौर और खण्डवा में रोग की पुष्टि हुई है। प्रभावित ग्रामों और जिलों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित करने, बीमारी के नमूने, तत्काल राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल जहां से रोग के आउट ब्रेक होने की पुष्टि होती है, उससे 5 किलोमीटर की परिधि में आवश्यक टीकाकरण किया जा रहा है। औषधियाँ और वैक्सीन खरीदने के लिए पशु कल्याण समिति से व्यवस्था की गई है। राजस्थान और गुजरात की सीमा से लगे जिलों अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़ और बुरहानपुर के पशुपालन विभाग के अमले को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्र की पशु चिकित्सा संस्थाओं में पदस्थ पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ और सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को दायित्व दिए गए हैं। सतत् निगरानी रखी जा रही है। जुलाई माह से वेबिनार, बैठक और राज्य स्तरीय युवा संवाद कर सभी संभागों के पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक, उप संचालक, संभागीय लेब प्रभारी और विशेषज्ञों के माध्यम से चर्चा कर आवश्यक उपाय अमल में लाए जा रहे हैं। विभाग के सभी अधिकारियों को सजग रहने के निर्देश दिए गए हैं।
लम्पी रोग के प्रमुख लक्षण की जानकारी देते हुए बताया गया कि यह एक स्किन बीमारी है, जो पॉक्स प्रजाति के वायरस से गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं में होती है। रोग के लक्षणों में संक्रमित पशु को हल्का बुखार होना, मुँह से अत्यधिक लार तथा आँखे एवं नाक से पानी बहना, लिंफ नोड्स तथा पैरों में सूजन एवं दुग्ध उत्पादन में गिरावट, गर्भित पशुओं में गर्भपात एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु होना, पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 2 से 5 सेंटीमीटर आकार की गठानें बन जाना शामिल है। पशुओं को मुँह में छाले आना भी एक लक्षण है। यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलती है। रोकथाम और बचाव के उपायों में संक्रमित पशु/पशुओं के झुण्ड को स्वस्थ पशुओं से पृथक रखना, कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को नष्ट करना, पशुओं के आवास- बाड़े की साफ-सफाई रखना, संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाना, रोग के लक्षण दिखाई देने पर अविलंब पशु चिकित्सक से उपचार कराना, क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले आयोजन तथा पशुओं के क्रय-विक्रय आदि को रोकना और स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना शामिल है।
मुख्यमंत्री चौहान के प्रमुख निर्देश