गणतंत्र दिवस 2023 से पहले 'अपना देश अपने हथियार' सीरीज में हम स्वदेशी हथियारों से आपको रूबरू करा रहे हैं। आज तीसरी कड़ी में बात 'नाग' मिसाइल की। देश में पाए जाने वाले कोबरा सांप के नाम पर इस मिसाइल का नाम है। सिर्फ नाम ही नहीं, इसका वार भी कोबरा जैसा है। नाग मिसाइल का एक वार दुश्मन के खेमे में खलबली मचाने को काफी है। इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत, तीसरी पीढ़ी की इस मिसाइल को तैयार किया गया है। यह पांच तरह के वैरिएंट्स में आती है और हर मौसम में तैनात की जा सकती है। नाग मिसाइल को 10 साल तक मेंटेन करने की जरूरत भी नहीं। सिर्फ 43 किलो वजनी यह मिसाइल 828 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से दागी जा सकती है। 'अपना देश अपने हथियार' पार्ट 3 में इसी 'नाग' मिसाइल के बारे में जानते हैं।'नाग' मिसाइल का इतिहास क्या है?
'मिसाइल मैन' डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में 'नाग' मिसाइल ने आकार लेना शुरू किया था।इसका डिजाइन डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने तैयार किया।नब्बे के दशक की शुरुआत में टेस्ट भी हुए लेकिन IIR आधारित गाइडेंस सिस्टम में दिक्कत के चलते डिवेलपमेंट फंसा रहा।सितंबर 1997 और फिर जनवरी 2000 में मिसाइल ने टेस्ट में काबिलियत साबित कर दी। अगले कुछ सालों के भीतर इसे और रिफाइन किया गया।'नाग' मिसाइल के लिए खास मिसाइल कैरियर NAMICA तैयार किया गया जिसे 'सारथ' नाम मिला है। यह एक टैंक डिस्ट्रॉयर है जिसमें 12 मिसाइलें रखी जा सकती हैं।नाग मिसाइल के पांच अलग-अलग टाइप पर काम चल रहा है। यह ऐसी मिसाइल है जिसे जमीन या हवा, कहीं से भी फायर कर सकते हैं।नाग मिसाइल का एक लैंड वर्जन है, दूसरा मास्ट-माउंटेड सिस्टम। बाकी तीन खास जरूरतों के हिसाब से बनाए जा रहे हैं। उनके बारे में विस्तार से आगे जानते हैं।NAG मिसाइल की खूबियां जानिए
नाग मिसाइल के अलग-अलग वैरिएंट्स की रेंज 500 मीटर से 20 किलोमीटर तक है।इसका गाइडेंस सिस्टम 'फायर एंड फॉरगेट' है मतलब एक बार दाग दिया तो टैंक को तबाह कर ही दम लेगी।दिन हो या रात, किसी भी मौसम में 'नाग' मिसाइल को फायर किया जा सकता है।'नाग' में ऐडवांस्ड पैसिव मिसाइल होमिंग गाइडेंस सिस्टम लगा है जिससे इसे हाई सिंगल-शॉट किल प्रॉबेबिलिटी मिलती है।नाग मिसाइल 828 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से अपने टारगेट को हिट कर सकती है।NAG MPATGM की क्या खासियत है?
तीसरी पीढ़ी की मैन पोर्टेबल ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) का ट्रायल 2005 में शुरू हुआ। यह दिखने में नाग मिसाइल के लैंड वर्जन जैसी ही है लेकिन बेहद हल्की (करीब 14 किलोग्राम) है। नाग के MPATGM वर्जन की रेंज लगभग 2.5 किलोमीटर है। यह टैंकों के ऊपर जाकर फिर नीचे आकर धमाका कर सकती है जिसे 'टॉप अटैक' कहते हैं। लगभग सवा मीटर लंबाई वाली इस मिसाइल में चार छोटे पर लगे हैं। इसमें हाई एक्सप्लोजिव ऐंटी-टैंक (HEAT) वारहेड फिट होता है।
HELINA और ध्रुवास्त्र में क्या खास?
NAG मिसाइल को हवा से भी लॉन्च किया जा सकता है। आर्मी वैरिएंट को HELINA (हेलिकॉप्टर लॉन्च्ड NAG) कहा जाता है। एयरफोर्स वैरिएंट का नाम 'ध्रुवास्त्र' है। HELINA को ध्रुव ऐडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) या HAL रूद्र अटैक हेलिकॉप्टर से लॉन्च करते हैं। इसकी रेंज करीब 7 किलोमीटर है। महज 43 किलो वजन वाली HELINA 'टॉप अटैक' और 'डायरेक्ट अटैक', दोनों कर सकती है।
10KM से दूर वाले टारगेट्स उड़ाती है SANT
स्टैंडऑफ ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (SANT) को दुनिया की 'सबसे खतरनाक' ऐंटी-टैंक मिसाइल बताते हैं। यह HELINA का अपग्रेडेड वैरिएंट है। 15-20 किलोमीटर रेंज वाली SANT में ऐक्टिव रडार सीकर लगा है ताकि मिसाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से दूर रहे। यह मिसाइल इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर (IIR) से टारगेट का पता लगाती है।