RSS की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे सरकारी कर्मचारी:केंद्र ने 1966 में लगा बैन हटाया

Updated on 22-07-2024 01:49 PM

केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होन पर लगे बैन को हटाया है। 1966 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने यह बैन लगाया था। 58 साल बाद केंद्र सरकार ने इसे रद्द किया।

रविवार (21 जुलाई) की देर रात कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि PM मोदी और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 58 साल का प्रतिबंध हटाया गया है। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।

रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय का 9 जुलाई को जारी कार्यालय के मेमोरेंडम को शेयर किया है। इसमें सरकारी कर्मचारियों के RSS की गतिविधियों में भाग लेने से संबंधित जानकारी दी गई है। रमेश ने 1966 के आदेश की फोटो भी शेयर की है।

रमेश के इस दावे पर BJP आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने केंद्र सरकार के आदेश का स्क्रीनशॉट शेयर किया। उन्होंने लिखा 58 साल पहले जारी एक असंवैधानिक निर्देश को मोदी सरकार ने वापस ले लिया है।

जयराम रमेश ने लिखी यह बात...
रमेश ने लिखा, ''फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था - और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है।''

रमेश ने आगे लिखा, ''4 जून 2024 के बाद स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।''

RSS की विचारधारा राष्ट्रवाद के खिलाफ - ओवैसी
इसी मामले में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल और नेहरू की सरकार ने RSS पर बेन लगा दिया था। उनका बेन हटाने पर शर्त रखी गई थी कि वे राजनीति में भाग नहीं लेंगे और संविधान का सम्मान करेंगे। लेकिन NDA सरकार अब सरकारी कर्मचारियों को RSS की गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दे रही है। हिंदू राष्ट्र बनाना RSS का कोर एजेंडा है। जो विविधता की बात करने वाले भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सभी सांस्कृतिक संगठनों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

असंवैधानिक आदेश को मोदी सरकार ने वापस लिया- अमित मालवीय
BJI IT सेल हेड अमित मालवीय ने लिखा- , ''58 साल पहले 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश जिसमें RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसे मोदी सरकार द्वारा वापस ले लिया गया है। इस आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था।

कथित आदेश में क्या लिखा है?
रमेश के शेयर आदेश में लिखा है- "दिनांक 30 नवबंर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के विवादित कार्यालय ज्ञापनों से RSS का उल्लेख हटा दिया जाए।

जनता पार्टी ने फैसला पलटा था
सरकारी कर्मचारियों के RSS से जुड़ने पर रोक का पहला आदेश 1966 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जारी किया था। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि RSS राजनीतिक रूप से प्रभावित है।

केंद्र सरकार ने आगे कहा था कि RSS की वजह से कर्मचारियों की तटस्थता प्रभावित हो सकती है। इसे धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए उचित नहीं माना गया। केंद्र सरकार ने आदेश में सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का हवाला देते हुए बैन लगाया था।

देश में जब जनता पार्टी की सरकार 1977 में बनी तो इस कानून को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जब 1980 में इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं तो इस कानून को दोबारा प्रभाव में ला दिया गया था। तब से ये तमाम राज्यों में कर्मचारियों के सर्विस रूल पर प्रभावी है।



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