नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को धन उपलब्ध कराने
की अनुमति संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा।
याचिकाओं में राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग के स्रोत के रूप में केंद्र की
चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती दी गई है। चुनावी चंदे में
पारदर्शिता लाने की कोशिश के तहत राजनीतिक दलों को दी जाने वाली नकद राशि
के विकल्प के तौर पर बॉन्ड की शुरुआत की गई है।
वकील प्रशांत भूषण ने उठाया था ये मामला
जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की पीठ गैर-सरकारी संगठन
(एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित
याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करेगी। एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत
भूषण 05 अप्रैल 2021 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण के समक्ष इस
मामले को रखा था। उन्होंने उस वक्त कहा था कि यह मामला बहुत ही गंभीर है
और इसपर फौरन सुनवाई होनी चाहिए।
बता दें कि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट एनजीओ की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर राजी हो गया था। लेकिन फिर भी इसे इतने महीनों तक सूचीबद्ध नहीं किया जा सका था। यह मामला 18 महीने से अधिक समय के बाद सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध किया गया है। गौरतलब है कि सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 02 जनवरी 2018 को अधिसूचित की थी। मार्च 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड की बिक्री को रोकने के लिए एडीआर द्वारा दायर दो स्टे एप्लीकेशनों को खारिज कर दिया था।