धरती की ओर आ रहा सींग वाला धूमकेतु, ज्वालामुखी विस्फोट से लाखों किमी तक फैली गैस, जानें कब दिखेगा?

Updated on 28-07-2023 02:16 PM
वॉशिंगटन: सूर्य की ओर बढ़ते एक असामान्य ज्वालामुखीय धूमकेतु को फटते हुए देखा गया है। यह धूमकेतु अत्यधिक ठंडा मैग्मा अंतरिक्ष में छोड़ रहा है। फटने के बाद यह एक छोटे तारे की तरह चमक रहा है और देखने में ऐसा लग रहा है, जैसे इसके ऊपर सींग निकली हुई है। 70 वर्षों में पहली बार है, जब इस धूमकेतु को फूटते हुए देखा गया। इस धूमकेतु का नाम 12P/पोंस-ब्रूक्स (12पी) है। यह एक क्रायोवोल्केनिक या ठंडे ज्वालामुखी वाला धूमकेतु है। धूमकेतु का आकार एक बड़े शहर के बराबर है।

सामान्य तौर पर धूमकेतु ठोस नाभिक से बने होते हैं जो बर्फ, धूल और गैस के मिश्रण से भरे होते हैं। यह गैस के एक धुंधले बादल से घिरे होते हैं जिसे कोमा कहते हैं। यह धूमकेतु के आंतरिक भाग से लीक होती है। लेकिन अधिकांश अन्य धूमकेतुओं के विपरीत 12P के नाभिक के अंदर गैस और बर्फ इतनी ज्यादा जमा हो गई कि यह हिंसक रूप से विस्फोट करने लगे। नाभिक की खोल की बड़ी दरारों के अंदर से यह बाहर निकलने लगीं। इन्हें क्रायोमैग्मा के रूप में जाना जाता है।

2.3 लाख किमी तक बढ़ा कोमा


स्पेसवेदर की रिपोर्ट के मुताबिक 20 जुलाई को कई खगोलविदों ने धूमकेतु में एक बड़े विस्फोट को देखा, जो आमतौर पर दिखने की तुलना में अचानक 100 गुना ज्यादा चमकीला हो गया। चमक में यह बढ़ोतरी तब हुई जब धूमकेतु का कोमा अचानक आंतरिक भाग से निकलने वाली गैस और बर्फ के क्रिस्टल के साथ फूल गया। इसके कारण सूर्य का अधिक प्रकाश पृथवी तक आ सका। क्रायोवोल्केनिक धूमकेतुओं का अध्ययन करने वाले खगोलशास्त्री रिचर्ड माइल्स ने कहा 26 जुलाई को इसका कोमा 230,000 किमी तक बढ़ गया। कहा जाए तो यह अपने नाभिक के अनुमानित व्यास 30 किमी से 7000 गुना ज्यादा चौड़ा हो गया था।

धूमकेतु के उग आए सींग

दिलचस्प बात है कि इस आकार की अनियमितता से धूमकेतु ऐसा दिखने लगा, जैसे उसके सींग उग आए हों। कई एक्सपर्ट्स ने इसकी तुलना स्टारवार्स फिल्म के अंतरिक्ष यान मिलेनियम फाल्कन से की। माइल्स ने आगे कहा कि धूमकेतु के कोमा का असामान्य आकार संभवतः 12पी के नाभिक के आकार में अनियमितता के कारण है। उन्होंने कहा कि अंततः विस्तारित कोमा गायब हो जाएगा। उन्होंने कहा, कि 12पी में 69 वर्षों में पहली बार इतना बड़ा विस्फोट देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह धूमकेतु 21 अप्रैल 2024 को सूर्य के सबसे नजदीक होगा और 2 जून 2024 को यह पृथ्वी के सबसे करीब होगा। तब इसे रात में आसमान में देखा जा सकेगा।

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