मंत्री सिंहदेव ने मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना के तहत दी जा रही सेवाओं की समीक्षा करते हुए सभी हाट-बाजारों में क्लीनिक संचालन के लिए शेड निर्माण के निर्देश दिए, जिससे विपरीत मौसम में भी मरीजों की चिकित्सा का कार्य बिना किसी बाधा के हो सके। उन्होंने कहा कि क्लीनिक संचालन के लिए स्थान निर्धारित होने से मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी और इसके माध्यम से अधिक लोगों को सेवा दी जा सकेगी। मंत्री ने शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए बेहतर प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिशु एवं मातृ मृत्यु के अधिक दर का कारण आमतौर पर माताओं का कुपोषित होना है। माताएं एनीमिया से पीड़ित हों तो शिशु और मातृ मृत्यु की संभावना बढ़ती है। उन्होंने हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने के लिए पोषण आहार पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि चीन जैसे देश में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए 30 साल लगे, वहीं बस्तर में लगभग 6 चरणों में ही मलेरिया पर बहुत अधिक नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है और अब इसकी दर मात्र 0.97 रह गई है। उन्होंने वेक्टर जनित अन्य रोग जैसे डेंगू और जापानी इंफेलेटाईटिस के मामलों की भी समीक्षा की। मंत्री ने कोरोना की जांच में किसी भी प्रकार की ढील नहीं लाने के लिए भी निर्देशित करते हुए कहा कि प्रति विधानसभा में प्रतिदिन कम से कम 100 लोगों की जांच हो और आरटीपीसीआर के माध्यम से अधिक से अधिक जांच सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने टीबी के मरीजों की पहचान के लिए भी अधिक से अधिक जांच करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही टीबी मरीजों को क्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से राशि प्रदाय करने के निर्देश भी दिए।
मंत्री ने जिला अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी, डायलिसिस आदि की समीक्षा की। उन्होंने सब हेल्थ सेंटर तक हमर लैब के माध्यम से स्वास्थ्य जांच की सुविधा पहुंचाने की बात भी कही। मंत्री ने इसके पूर्व डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की भी समीक्षा की और मेडिकल कॉलेज में बेहतर से बेहतर सुविधा प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था को और अधिक चाक-चौबंद करने तथा मरीजों व उनके परिजनों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार बरतने के निर्देश भी दिए। बैठक में बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, स्वास्थ्य सचिव आर प्रसन्ना सहित स्वास्थ्य विभाग के राज्य स्तरीय एवं बस्तर संभाग के अधिकारी उपस्थित थे।