नई दिल्ली: ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) का जिक्र होते ही खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) का नाम अपने आप आ जाता है। इस ऑपरेशन में मौत से पहले की उसकी आखिरी तस्वीर की अपनी ही कहानी है। इसे खींचा था जाने-माने फोटोग्राफर रघु राय (Raghu Rai) ने। तस्वीर में भिंडरावाले का चेहरा सुलगता हुआ दिखता है। आंखें बहुत कुछ कहने को उतावली, गुस्से, डर और तनाव का भाव। जिस वक्त यह तस्वीर ली गई थी जरनैल सिंह स्वर्ण मंदिर के एक कमरे में चारपाई पर अकेला बैठा था। इस कमरे में बल्ब जल रहा था। रघु राय को देखते ही वह चीख उठा था। उसने गुस्से से पूछा था- तू क्यों आया है। मशहूर फोटोग्राफर का भिंडरावाले से पहले भी मिलना-जुलना था। रघु ने तब कहा था कि वह तो आते ही रहते हैं। वह उनसे मिलने ही आए हैं।रघु राय ने द लल्लनटॉप के साथ इंटरव्यू में भिंडरावाले की उस फोटो के बारे में बताया है जो उसकी मौत से पहले खींची गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि भिंडरावाले की मौत से पहले स्वर्ण मंदिर का माहौल कैसा था। उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार से ठीक एक दिन पहले भिंडरावाले की खींची गई तस्वीर के बारे में विस्तार से बताया है।भिंडरावाले को पाजी कहते थे रघु राय
रघु राय ने कहा कि वह भिंडरावाले को पाजी कहा करते थे। उनका अक्सर स्वर्ण मंदिर आना-जाना होता था। भिंडरावाले हरमिंदर साहिब के कॉम्प्लेक्स में पहले चौथे फ्लोर पर बैठता था। उसके साथ कई बंदूकधारी रहते थे। वह बहुत कड़क आवाज में बोलता था। दूसरे लोग उसे संत जी बुलाते थे। आज भी उसकी तस्वीरे बिकती हैं जिसमें उसके पीछे प्रभामंडल दिखता है। उनके साथ रहने वाले एक सरदार ने पाजी कहने पर रघु राय से आपत्ति जताई थी। उसने कहा था कि वो हमारे संत जी हैं। भाई नहीं। अच्छा होगा कि रघु भी उन्हें संत जी ही कहकर बुलाया करें। रघु ने इन शख्स से कह दिया था कि आगे से वह ऐसा ही करेंगे। हालांकि, वह भिंंडरावाले को आगे भी पाजी ही कहते रहे।
जानिए तस्वीर की पूरी कहानी
ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले तमाम जर्नलिस्ट को एक जगह पैक कर दिया गया था। किसी को अंदर आने की अनुमति नहीं थी। खालिस्तानी आतंकी अकाल तख्त में जाकर छुप गया था। पहले वह जहां पर रहता था, वहां तक पहुंचना आसान था। यही कारण था कि भिंडरावाले ने यह तरीका अपनाया था। रघु राय बड़ी जुगाड़ से वहां तक पहुंच पाए थे। इसके लिए उन्होंने पुराने कॉन्टैक्ट्स का इस्तेमाल किया था।
रघु राय ने बताया कि अकाल तख्त में तीसरी मंजिल पर सिर्फ एक बल्ब जल रहा था। वो अकेला चारपाई पर बैठा था। भिंडरावाले ने रघु राय से चीखते हुआ पूछा - तू क्यों आया है यहां। इस पर रघु बोले - अरे पाजी मैं तो आपसे लंबे समय से मिलता आया हूं। हम दोनों की तो दोस्ती है। आप मुझसे पूछ रहे हो कि मैं क्यों आया हूं। जवाब में भिंडरावाले ने रघु से मिलने आने का मकसद पूछा। रघु ने बताया कि वह सिर्फ उनकी कुछ तस्वीरें लेने आए हैं।
कमरे में सिर्फ एक बल्ब जल रहा था
कमरे में सिर्फ बल्ब की लाइट थी। रघु ने भिंडरावाले का पोट्रेट बनाया। उन्होंने कहा कि तस्वीर में देखा जा सकता है कि उसकी आखों में गुस्सा भी था और डर भी। इसके बाद भिंडरावाले ने रघु को वहां से तुरंत चले जाने को कहा। रघु के मुताबिक, उसे एहसास हो गया था कि क्या होने वाला है। वो खौफ भिंडरावाले की आंखों में दिख रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार में अकाल तख्त को बुरी तरह से नुकसान हुआ था। उन्होंने चुपके से इसकी भी बहुत सी तस्वीरें खींची थी।
मौत से कुछ समय पहले भिंडरावाले ने जिन पत्रकारों से बात की थी उनमें रघु राय के अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया के सुभाष किरपेकर और बीबीसी के मार्क टली भी थे। सुभाष किरपेकर इकलौते पत्रकार थे जो स्वर्ण मंदिर को घेर लिए जाने के बाद भिंडरावाले से मिले थे।