नई दिल्ली : कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को श्रीनगर में खत्म हो रही है। कांग्रेस की तरफ से भले ही यह लगातार कहा जा रहा है कि इस यात्रा का चुनाव से कोई लेना देना नहीं है लेकिन राजनीति विश्लेषक इससे इत्तेफाक नहीं रखते। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जिस तरह से प्रेसकॉन्फ्रेंस कर रहे हैं उससे तो साफ जाहिर होता है कि इस यात्रा के राजनीतिक निहितार्थ कहीं अधिक हैं। कांग्रेस की नजर 2024 में विपक्षी धड़े का अगुआ बनने की है। यह बात यात्रा के दौरान अलग-अलग राज्यों में राहुल के बयानों से साफ तौर पर झलकती है। कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन के मौके पर 21 विपक्षी दलों के अध्यक्षों को समापन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है।
नई दिल्ली : कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को श्रीनगर में खत्म हो रही है। कांग्रेस की तरफ से भले ही यह लगातार कहा जा रहा है कि इस यात्रा का चुनाव से कोई लेना देना नहीं है लेकिन राजनीति विश्लेषक इससे इत्तेफाक नहीं रखते। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जिस तरह से प्रेसकॉन्फ्रेंस कर रहे हैं उससे तो साफ जाहिर होता है कि इस यात्रा के राजनीतिक निहितार्थ कहीं अधिक हैं। कांग्रेस की नजर 2024 में विपक्षी धड़े का अगुआ बनने की है। यह बात यात्रा के दौरान अलग-अलग राज्यों में राहुल के बयानों से साफ तौर पर झलकती है। कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन के मौके पर 21 विपक्षी दलों के अध्यक्षों को समापन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है।
खरगे का मास्टर स्ट्रोक काम करेगा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के श्रीनगर में होने वाले समापन कार्यक्रम में 21 दलों को न्योता दिया है। यदि कांग्रेस के आमंत्रण में ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, मायावती, शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, लालू यादव आ जाते हैं तो खरगे का यह मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष ने जिन दलों को पत्र लिखा है उसमें तृणमूल कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, शिवसेना, तेलुगू देशम पार्टी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, डीएमके, सीपीआई, सीपीआईएम, जेएमएम, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हम, पीडीपी, एनसीपी, एमडीएमके, वीसीके, आईयूएमएल, केएसएम, आरएसपी प्रमुख हैं। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला, राजद से लालू यादव, तेजस्वी यादव और शरद यादव को भी आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस से कन्नी काट रहे विपक्षी दल
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों के नेता इस यात्रा शिरकत कर चुके हैं। हालांकि, यह शिकरत चुनावी गठबंधन में कितना बदलेगी इस पर अभी संदेह ही है। इसकी वजह साफ है कि जिन राज्यों में इन दलों की राजनीतिक जमीन है, वहां कांग्रेस इनसे तोलमोल करने की स्थिति में नहीं है। इसके उलट यूपी और बिहार जैसे राज्य में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से अभी तक किनारा ही कर रखा है। यूपी में तो न्योते के बाद भी अखिलेश यादव, मायावती और राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत यादव ने यात्रा से दूरी ही बनाए रखी।
क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर उठाए थे सवाल
कांग्रेस की तरफ से राजनीतिक दलों के अस्तित्व को लेकर सवाल भी खड़ा किया जा चुका है। राहुल गांधी ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि कोई भी क्षेत्रीय दल देश के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। राहुल गांधी का कहना था कि क्षेत्रीय दल एक समुदाय के लिए या एक राज्य के लिए दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। क्षेत्रीय दलों के कांग्रेस से कन्नी काटने की यह भी एक वजह दिख रही है। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही साफ कहा था कि राष्ट्रीय विचारधारा की धुरी कांग्रेस है ना कि क्षेत्रीय दल। राहुल का कहना था कि देश के सामने एक राष्ट्रीय विचारधारा पेश करनी होगी जो सिर्फ कांग्रेस के पास है।कांग्रेस ही देश बचा सकती है?
विपक्षी दलों का अगुआ बनने की कोशिश अभी तक नाकाम होती दिख रही है। दरअसल इसके पीछे कांग्रेस खुद ही सबसे बड़ी वजह है। कांग्रेस के हाथों से लगातार एक के बाद एक राज्यों से सत्ता जा रही है लेकिन कांग्रेस के तेवर नहीं बदल रहे हैं। विपक्षी दलों को लेकर कांग्रेस का रवैया भारत जोड़ो यात्रा से पहले पिछले साल सितंबर से ही दिखना शुरू हो गया था। कांग्रेस ने रामलीला मैदान की महंगाई के खिलाफ हल्लाबोल रैली से दिया था। राहुल ने उस समय कहा था कि कांग्रेस ही देश बचा सकती है। हार के बाद हार के बाद भी कांग्रेस क्षेत्रीय दलों पर हावी रहना चाहती है। इसकी एक और बानगी हाल ही में राहुल गांधी के बयान से दिखी थी। राहुल ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी के राजनीतिक प्रभाव का जिक्र करते हुए उसकी हद बता दी थी। सपा के जरिये कांग्रेस ने विपक्षी दलों को आइना भी दिखा दिया था।
बड़े राज्यों में कांग्रेस की चुनौती
मिशन 2024 की राह यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में जीत के बिना पूरी नहीं हो सकती है। लोकसभा की 543 सीटों में से 210 सीटें इन चार राज्यों से ही आती हैं। खास बात है कि इन राज्यों में कांग्रेस की जमीन बिल्कुल ही कमजोर है। यूपी में समाजवादी पार्टी, महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना, पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बिहार में राजद-जदयू के बिना विपक्ष की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। इन राज्यों में ये दल कांग्रेस को कभी बड़ा भाई मानने को तैयार ही नहीं होंगे।